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Laxmi Chalisa: शुक्रवार को पढ़े ये पाठ,धन-संपत्ति की नहीं होगी कमी

Laxmi Chalisa: शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित है इस दिन माता लक्ष्मी की आराधना विधि विधान से करने पर कभी धन की कमी नहीं होती है जिस पर माता लक्ष्मी की कृपा हो जाती है, उसके जीवन में धन, संपत्ति, सुख, वैभव की कोई कमी नहीं रहती है हर शुक्रवार के दिन पूजा के समय माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए लक्ष्मी चालीसा में माता की महिमा का गान है इसको पढ़ने से माता लक्ष्मी खुश होती हैं इस पाठ को पढ़ने पर आपको माता लक्ष्मी की उत्पत्ति के बारे में भी पता चलेगा जब भी आपको श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना हो तो उससे पूर्व माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा अर्चन करके खीर या सफेद बर्फी का भोग लगाएं उसके बाद पाठ प्रारंभ करें

Laxmi Chalisa Path: श्री लक्ष्मी चालीसा पाठ

दोहा

मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो दिल में वास

मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥

सोरठा

यही मोर अरदास, हाथ जोड़ प्रार्थना करुं

सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

चौपाई

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही ज्ञान बुद्धि विघा दो मोही॥

श्री लक्ष्मी चालीसा

तुम समान नहिं कोई उपकारी सब विधि पुरवहु आस हमारी॥

जय जय जगत जननि जगदम्बा सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥

तुम ही हो सब घट घट वासी प्रार्थना यही हमारी खासी॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी दीनन की तुम हो हितकारी॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी कृपा करौ जग जननि भवानी॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी सुधि लीजै क्राइम बिसारी॥

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी जगजननी प्रार्थना सुन मोरी॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता संकट हरो हमारी माता॥

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं सेवा कियो दिल पुलकाहीं॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई मन इच्छित वांछित फल पाई॥

तजि छल कपट और चतुराई पूजहिं विविध भांति मनलाई॥

और हाल मैं कहौं बुझाई जो यह पाठ करै मन लाई॥

ताको कोई कष्ट नोई मन इच्छित पावै फल सोई॥

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥

ताकौ कोई न बीमारी सतावै पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥

पुत्रहीन अरु संपति हीना अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै शंका दिल में कभी न लावै॥

पाठ करावै दिन चालीसा ता पर कृपा करैं गौरीसा॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै कमी नहीं काहू की आवै॥

बारह मास करै जो पूजा तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥

करि विश्वास करै व्रत नेमा होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥

जय जय जय लक्ष्मी भवानी सब में व्यापित हो गुण खानी॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी दर्शन दजै हालात निहारी॥

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में सब जानत हो अपने मन में॥

रूप चतुर्भुज करके धारण कष्ट मोर अब करहु निवारण॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥

॥ दोहा॥

त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास जयति जयति जय लक्ष्मी, करो दुश्मन को नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥

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