लाइफ स्टाइल

जाने पितृपक्ष पर पितरों को तर्पण देने की विधि और पितृ दोष से मुक्ति पाने के उपाय…

Pitru Dosha Upay: हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष बहुत जरूरी माने जाते हैं ये दिन विशेष तौर पर पितरों के श्राद्ध कर्म को समर्पित हैं पितृ खुश रहें तो आदमी के जीवन में तरक्की के मार्ग खुल जाते हैं और घर में सुख-संपदा बनी रहती है पितृपक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य शुरुआत नहीं किया जाता है वहीं, पूजा-पाठ की तरह ही पितरों को तर्पण देने की भी विधि होती है इसलिए आइए जानते हैं पितृपक्ष पर पितरों को तर्पण देने की विधि और पितृ गुनाह से मुक्ति पाने के उपाय-

श्री विष्णु धाम मंदिर में आश्रम के महंत पंडित रविंद्र कुमार संघर्षी महाराज ने कहा कि पितृपक्ष में पितरों को तृप्त करने वाले श्राद्ध 29 सितम्बर शुक्रवार भाद्रपद पूर्णिमा से शुरुआत करके 14 अक्टूबर, दिन शनिवार पितृ-विसर्जन अमावस्या तक सम्पन्न करें, जिसके करने से निश्चित ही पितरों को तृप्ति एवं पूर्ण संतुष्टि होती है

श्राद्ध के उपाय 
उन्होंने श्राद्ध संपन्न करने के तरीका बताते हुए बोला कि पितृ-पक्ष के शुरुआत दिवस से ही कुशा या दूर्वा घास की 16 जूड़ी कलावे द्वारा बांध लें रोजाना सूर्योदय से पहले एक जूड़ी ले लें, और दक्षिणी मुखी होकर वह जूड़ी पीपल के वृक्ष के नीचे स्थापित करके, एक लोटे में थोड़ा गंगा जल, बाकी सादा जल भरकर लौटे में थोड़ा दूध, बूरा, काले तिल, जौ डालकर एक चम्मच से कुशा की जूडी पर 108 बार जल चढ़ाते रहें और प्रत्येक चम्मच जल पर यह मंत्र उच्चारण करते रहे
मंत्र-ऊं सर्वेभ्यो ऊत-पितृभ्यो तृप्तयाम्

ऐसे करें तर्पण 
इसी प्रकार रोजाना 16 दिनों तक कुशा की जूडी, जल के लोटे के साथ ले जा कर पीपल के नीचे कुशा की जूडी को पितृ मानकर जल से तर्पण करें उन्होंने कहा कि तर्पण के बाद घर आकर प्रति दिन ही भोजन के समय एक रोटी गाय को, एक रोटी कुत्ते को और एक रोटी कौओं को जरूर खिलाएं साथ ही उन्होंने बोला कि यदि संभव हो सके तो अपनी छत पर किसी चौडे पात्र में जल भरकर पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण रखें और अनाज के दाने भी छत पर डालें उन्होंने कहा कि ब्राहृमण भोजन, श्राद्ध, तर्पण तथा अमावस्या पूजन इत्यादि जैसे अपने घर करते आ रहे हैं, वह वैसे ही यथा स्थिति करेंगे

 

Related Articles

Back to top button