सूर्य भगवान को जल अर्पण करने का क्या है सही तरीका, जानें
हिंदू धर्म में पूजा का खास महत्व होता है। सूर्य चंद्रमा जैसे ग्रहों से लेकर प्राकृतिक की भी पूजा की जाती है। वहीं सूर्य ईश्वर की विधि विधान से पूजा आराधना करने पर शरीर से शारीरिक और मानसिक रोग समाप्त हो जाती है।
ज्योतिषविदों की मानें तो सूर्य ईश्वर प्रत्यक्ष देवता माने जाते हैं। यदि जातक रोजाना स्नान कर ईश्वर सूर्य को जल अर्पण करते हैं तो इससे ईश्वर सूर्य प्रसन्न होते हैं। वहीं हर देवता को पूजने में एक विधि विधान होता है। उसके मुताबिक ही पूजन किया जाता है, देवघर की ज्योतिषआचार्य से जानते हैं कि सूर्य ईश्वर को जल अर्पण करने का ठीक तरीका क्या है?
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिष आचार्य
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के मशहूर ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को कहा कि ईश्वर सूर्य जीवन के साधन माने जाते हैं और सूर्य ईश्वर प्रत्यक्ष देवता भी माने जाते हैं। जिनकी पूजा आराधना करने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट खत्म हो जाते हैं। जातक को प्रत्येक दिन स्नान कर ईश्वर सूर्य को जल अर्पण अवश्य करना चाहिए। लेकिन विधि विधान पूर्वक जल अर्पण करना चाहिए।
ऐसे करें ईश्वर सूर्य को जल अर्पण
तांबे का पात्र : भगवान सूर्य को तांबे के पात्र में ही जल अर्पण करना चाहिए। ईश्वर सूर्य को भूलकर भी स्टील, कांच, चांदी आदि बर्तनों में जल अर्पण या अर्घ्य ना दें।
जल में डाले ये चीजे : सूर्य ईश्वर को केवल जल अर्पण नहीं करना चाहिए। जल में थोड़ी सी हल्दी, थोड़ी सी रोड़ी और एक जावा फुल डालकर ही अर्पण करना चाहिए। इससे सकारात्मक फल की प्राप्ति होती है।
दिशा का रखे ध्यान : भगवान सूर्य को जल अर्पण करते समय दिशा का अवश्य ध्यान रखें। सूर्य ईश्वर को अर्घ देते समय पूर्व दिशा में खड़े होकर दोनों हाथ से तांबे के पात्र को पकड़ कर जल अर्पण करें।
दोनों हाथ से भी जल अर्पण कर सकते हैं : यदि आप नदी में स्नान करते हैं। वहां तांबे का पात्र मौजूद ना हो तो दोनों हाथों की तर्जनी में जल भरकर सूर्य मंत्र का जाप कर ईश्वर सूर्य को जल अर्पण करें। इसे सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट खत्म हो जाएंगे।