ट्रेन में इन बोगियों के अलग-अलग रंग और उनके पीछे के कारण के बारे में जानें
लाल – भारतीय रेलवे के लाल डिब्बे को लिंक हॉफमैन बुश बोला जाता है। उन्हें 2000 में जर्मनी से लाया गया था। पहले इन्हें विदेशों में बनाया जाता था लेकिन अब इन्हें पंजाब के कपूरथला में बनाया जा रहा है। वे एल्यूमीनियम से बने होते हैं। वे अन्य कोचों की तुलना में हल्के होते हैं। इसमें डिस्क ब्रेक भी हैं। हल्के होने के कारण ये बीस किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। भारतीय रेलवे में राजधानी या शताब्दी जैसी ट्रेनों में लाल रंग के डिब्बों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि यह तेजी से दौड़ सके।
नीला – इस रंग के डिब्बों को इंटीग्रल कोच बोला जाता है। ये लोहे के बने होते हैं। यह एयर ब्रेक से लैस है। वे चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में निर्मित होते हैं। ब्लू कोच आमतौर पर मेल एक्सप्रेस या इंटरसिटी में इस्तेमाल किए जाते हैं।
हरा – गरीब रथों में हरे रंग के डिब्बों का प्रयोग किया जाता है। कुछ भूरे रंग के कोच भी हैं, जिनका इस्तेमाल मीटर गेट ट्रेनों में किया जाता है। नैरो गेज ट्रेनों में हल्के रंग के डिब्बों का प्रयोग किया जाता है। हालाँकि, अब हिंदुस्तान में लगभग सभी नैरो गेज ट्रेनों का संचालन बंद हो गया है।