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यहाँ चीनी और तिल से बनाई जाती है स्पेशल रेवड़ी, 50 किलो तक हर दिन की खपत

बाजार में इन दिनों तरह-तरह की मिठाई देखने को मिल रही है ऐसी ही एक अनोखी मिठाई है, जो ठंड के समय बाजारों में हर क्षेत्र में दिख जाती है कहा जाता है कि मकर संक्रांति भी निकट है ऐसे में तिल से बनी तरह-तरह की मिठाई और तिलकुट बाजार में बिकने लगा है इस क्षेत्र में तिल से बनी ऐसी ही एक मिठाई है रेवड़ी ठंड के दिनों में ही खास तौर से बनाई और बेची जाती है ये बच्चों को तो सबसे अधिक पसंद है शंकर सहनी पिछले 15 वर्ष से रेवड़ी बनाकर बेचते हैं

शंकर सहनी ने कहा कि रेवड़ी बनाने के लिए सबसे पहले चीनी को पकाया जाता है काफी देर तक चीनी पकाने के बाद फिर उसे रेशा की तरह तैयार किया जाता है रेशा तैयार हो जाने का बाद उसे हल्का ठंडा होने पर छोटे-छोटे साइज का बना लिया जाता है फिर इसमें भुना हुआ सफेद तिल चिपका दिया जाता है उन्होंने कहा कि खास तौर पर ठंड की आरंभ होने के बाद ही बाजार में रेवड़ी दिखने लगती है मीठा होने के कारण बच्चों को यह सबसे पसंद आती है

बातचीत के दौरान शंकर सहनी ने कहा कि वह पिछले 15 वर्ष से रेवड़ी बनाकर बेचते हैं उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में जब हमने इसकी आरंभ की थी, तब अन्य स्थान से खरीद कर लाते और फिर बेचते थे लेकिन, अब हम यह स्वयं से तैयार करते हैं और स्वयं ही बेचते भी हैं शंकर सहनी ने कहा कि वे 200 रुपए प्रति किलो की रेट से रेवड़ी बेचते हैं बाजार में किलो के रेट से ही इसे बेचते हैं, लेकिन जब कोई बच्चा हमारे ठेले पर आता हैं और रेवड़ी मांगता है, तो उसके लिए अलग से तैयार की हुई रेवड़ी रखते हैं रोजाना 40 से 50 किलो रेवड़ी की बिक्री हो जाती है

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