EduCare न्यूज: मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने जारी किया टाइमटेबल
मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में आखिरकार चार वर्ष बाद परीक्षाएं होने जा रही हैं। इसके लिए मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी यानी मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने टाइमटेबल भी जारी कर दिए हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब सीबीआई की जांच में ठीक पाए गए 169 कॉलेजों में परीक्षा के लिए टाइम-टेबल जारी किया गया है। वहीं, 139 कॉलेज इस जांच में फर्जी पाए गए हैं।
BSc नर्सिंग फर्स्ट इयर बैच 2020-21, BSc नर्सिंग थर्ड ईयर 2019-2020, PB BSc नर्सिंग फर्स्ट ईयर 2020-21 और MSc नर्सिंग 2020-21 फर्स्ट ईयर के एग्जाम इसी वर्ष अप्रैल से प्रारम्भ होंगे।
169 कॉलेजों के स्टूडेंट्स इस वर्ष अप्रैल में देंगे एग्जाम
दरअसल, प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों के फर्जी होने और किसी भी यूनिवर्सिटी या हॉस्पिटल से एफिलिएटेड न होने के आरोपों के बाद सीबीआई को मुद्दे की जांच सौंप दी गई थी। इस वजह से 375 नर्सिंग कॉलेजों के करीब 1 लाख स्टूडेंट्स पिछले 3 वर्ष से फाइनल एग्जाम देने का प्रतीक्षा कर रहे थे। अब इनमें से 169 कॉलेजों के स्टूडेंट्स ही इस वर्ष अप्रैल में एग्जाम दे पाएंगे।
इसके अतिरिक्त 139 कॉलेज जो जांच में फर्जी साबित हुए, उनमें पढ़ाई कर रहे करीब 12,000 स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में है।
2020 में सामने आया मध्य प्रदेश नर्सिंग कॉलेज घोटाला
मध्य प्रदेश में ये भ्रष्टाचार वर्ष 2020 में सामने आया था। यह पता चला था कि स्टेट नर्सिंग काउंसिल ने ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी हुई थी जो या तो सिर्फ़ कागजों पर चल रहे थे या किराए के एक कमरे में चल रहे थे। कई नर्सिंग कॉलेज किसी अस्पताल से एफिलिएटेड नहीं थे। इसके बाद मुद्दा उच्च न्यायालय पहुंचा और न्यायालय ने राज्य के सभी 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी।
प्रदेश के 800 कॉलेजों में 600 फैकल्टी फेक है
दैनिक मीडिया की इन्वेस्टिगेशन में ये भी सामने आया कि प्रदेश के 800 नर्सिंग कॉलेजों की 14,000 में से 3,000 फैकल्टी ऐसी है जो बाहरी राज्यों की है। ये फैकल्टी प्रदेश के कॉलेजों में केवल ऑन पेपर रजिस्टर्ड है। नर्सिंग काउंसिल ने इनका माइग्रेशन और रजिस्ट्रेशन किया है। इनमें से 600 फैकल्टी ऐसी है, जिनके माइग्रेशन या रजिस्ट्रेशन नंबर को कई उपायों से बदलकर एक से अधिक बार इस्तेमाल किया गया है।
लीना नाम की स्त्री 8 कॉलेजों की प्रिंसिपल
नर्सिंग काउंसिल के वर्ष 2020-21 के रिकार्ड्स में लीना नाम की 42 वर्ष की स्त्री को बड़वानी के योगेश्वर नर्सिंग शिक्षा महाविद्यालय का प्रिंसिपल कहा गया। रिकॉर्ड्स के अनुसार कॉलेज में इस कोर्स में करीब 90 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं।
लीना नाम की इसी स्त्री को बड़वानी से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर 8 और नर्सिंग कॉलेजों की प्रिंसिपल भी कहा गया है। इसी तरह विष्णु कुमार स्वर्णकार 15 नर्सिंग कॉलेजों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और एसोसिएट प्रोफेसर है।
अब तक क्या-क्या हुआ
दरअसल, 2022 की आरंभ में प्रदेश के 55 नर्सिंग कॉलेजों के संचालन में धांधली की जांच करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी।
- ये कॉलेज किसी भी थ्योरी और प्रैक्टिकल पढ़ाई के बिना ही स्टूडेंट्स को डिग्री दे रहे थे। HC ने अब तक ऐसे 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है।
- 2022 में सीबीआई की एंटी भ्रष्टाचार ब्रांच (ACB) भी नर्सिंग कॉलेज घोटाले में जांच प्रारम्भ की थी।
- इंदौर और ग्वालियर के नर्सिंग कॉलेजों में धांधली की जांच कर रहे ग्वालियर डिवीजन बेंच के जस्टिस रोहित आर्या और मिलिंद रमेश फड़के ने फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने के मुद्दे की जांच के लिए सीबीआई डायरेक्टर को सीनियर ऑफिसर नियुक्त करने के निर्देश दिए थे।
- जुलाई 2023 में नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार स्टेला पीटर को हटाया गया। वहीं, काउंसिल की पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को दतिया मेडिकल कॉलेज ट्रांसफर कर दिया गया है।