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इस विधि से करें मछली पालन, कम खर्च में होगा मोटा मुनाफा

मछली पालन के साथ अगर बत्तख पालन भी किया जाए तो ऐसा करकेएक ही तालाब में दोहरा लाभ हासिल किया जा सकता है. इससे मछली के आहार में होने वाला लगभग 75 प्रतिशत तक का खर्च भी बच जाता है. इसके अलावा बत्तख के आहार में भी लगभग 35 फीसदी तक कम खर्च आता है. इससे किसानों का मुनाफा दोगुना हो जाता है. पटना के जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार की मानें तो कई युवा जो रोजगार की तलाश में हैं, वे इस तरह के कार्यों से रोजगार पाने वाले के बजाए देने वाले बन सकते हैं. इससे उनके साथ साथ बिहार का विकास भी होगा. कृषि पदाधिकारी की मानें तो इससे आने वाले दिनों में बिहार नीली क्रांति में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा.

एक साथ मछली और बत्तख पालन से होगा लाभ

जिला कृषि पदाधिकारी विकास बताते हैं कि बत्तखों का झुंड एक साथ पानी में उतरता है. अगर उनके लिए मछली वाले तालाब के बगल में एक छोटा सा एक और तालाब बना दिया जाए और बांस की चचरीनुमा पुल से उन तालाबों को जोड़ दिया जाए तो बत्तख की बीट खाकर मछली का अच्छा विकास होगा. बत्तखों को मछली वाले तालाब में रखने से तालाब की सफाई में भी मदद मिलती है, क्योंकि वे गंदगी को खाते हैं और तालाब का ऑक्सीजन लेवल भी बनाए रखते हैं. इससे मछलियों को भी अच्छा वातावरण मिलता है और उनका खूब विकास भी होता है. विकास कुमार आगे कहते हैं कि पक्षियों की ये सामान्य आदत होती है कि दिनभर खाने और सैर के बाद वे शाम के वक्त अपने घोंसलों में चले जाते हैं. बत्तख भी ठीक ऐसा ही करते हैं. इस कारण उनके लिए तालाब के बगल में घोंसले बनाए जा सकते हैं जहां वे अपने अंडे भी देंगे. इससे दूसरी तरफ उत्पादन की लागत में भी कमी आती है. इस तरह बत्तख के साथ मछली पालन करके डबल मुनाफा हासिल कर सकते हैं. इतना ही नहीं तालाब के किनारे पर तुलसी या किसी औषधीय पौधे की खेती भी की जा सकती है.

कैसे करें शुरुआत?

विकास कुमार बताते हैं कि इस तरह के उपक्रम के लिए सरकार भी नौजवानों को प्रोत्साहित करती है. उनके इसके लिए 10 लाख तक का लोन भी जिला अधिकारी मुहैया करवा सकते हैं. इसके लिए उन्हें अपने जिले के कृषि पदाधिकारी से मदद मिल सकती है. विकास कुमार आगे कहते हैं कि प्रोजेक्ट के लिए प्रोजेक्ट ऑफिसर भी नियुक्त किए गए हैं. उनकी मदद से आप अपनी जमीन पर प्रोजेक्ट तैयार कर सकते हैं. इसके लिए अलग से सीए की जरूरत भी नहीं पड़ती है

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