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कश्मीर में खूबसूरती के अलावा इन सांस्कृतिक प्रथाओं के बारे में जानें ये दिलचस्प बातें

जब भी कश्मीर की बात होती है तो हर कोई वहां के हाउसबोट, सेब के पेड़ों और खूबसूरती की प्रशंसा करता है लेकिन कश्मीर की एकीकृत वास्तुकला के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कश्मीर लंबे समय से हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और इस्लाम सहित सांस्कृतिक प्रथाओं का मिश्रण रहा है या हम कह सकते हैं कि यहां की विरासत इन सभी धर्मों को मिलाकर बनी है

ऐतिहासिक कश्मीर का निर्माण तब हुआ जब कला और वास्तुकला की परंपराएँ एक साथ आईं खासकर 14वीं सदी का कश्मीर इतिहास में अहम दर्जा रखता है जबकि कई कलाएं और वास्तुकला एक साथ देखने को मिलीं उदाहरण के लिए, खानकाह-ए-मौला जैसी मस्जिदों का निर्माण इस तरह किया गया है कि उनमें सभी कलाओं का मिश्रण देखा जा सके

INTACH के जम्मू और कश्मीर चैप्टर के संयोजक और जम्मू और कश्मीर पर्यटन विभाग के पूर्व महानिदेशक एम हाल ही में नयी दिल्ली में सलीम बेग द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी में इन पहलुओं को सामने लाने का कोशिश किया गया उदाहरण के लिए खानकाह पारंपरिक कश्मीरी लकड़ी के वास्तुशिल्प रूपों के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है

इसे INTACH साहित्य में पूरी तरह से ठोस लकड़ी के ब्लॉक के रूप में वर्णित किया गया है, जिसमें हेडर और स्ट्रेचर के रूप में ईंट की भरमार है 14वीं शताब्दी के इस मंदिर के भूतल पर केंद्रीय जगह में आध्यात्मिक आराम के लिए सात छोटे मंदिरों की श्रृंखला के साथ एक डबल-ऊंचाई वाला हॉल है

कश्मीर की संस्कृति कई संस्कृतियों का मिश्रण है कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अपनी विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है कश्मीर की विरासत हिंदू, सिख, बौद्ध और इस्लामी शिक्षाओं को जोड़ती है जम्मू की डोगरा परंपरा और कश्मीरी संस्कृति के बीच कई अंतर हैं एक ही राज्य में होने के बावजूद डोगरा संस्कृति पंजाब और हिमाचल के समान है लोहड़ी और बैसाखी के साथ-साथ विलय दिवस जैसे कई त्योहार बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाए जाते हैं

कश्मीरी पंडितों की खान-पान की आदतों की बात करें तो वे मांसाहारी भोजन में कालिया, रोगन जोश और मछली खाना पसंद करते हैं जबकि शाकाहारी कश्मीरी पंडित कालिया, दम आलू, राजमा, ब्रिगेंड आदि खाते हैं कश्मीर में मुसलमान लोगों के भी कई मशहूर रेसिपी हैं कबाब और कोफ्ते की तरह इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में गोस्ताबा का भी बड़ी मात्रा में सेवन किया जाता है एक पारंपरिक कश्मीरी त्योहार को वाज़वान बोला जाता है

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