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24 अप्रैल से 23 मई तक रहेगा वैशाख महीना

24 अप्रैल, बुधवार से वैशाख महीना प्रारम्भ हो गया है. ये 23 मई तक रहेगा. स्कंद और पद्म पुराण में लिखा है कि इस महीने में स्नान-दान करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है.

इस महीने ईश्वर विष्णु की पूजा के अतिरिक्त अन्य देवी-देवताओं की पूजा से मिलने वाला पुण्य बढ़ जाता है. वैशाख महीने में कई तीज-त्योहार रहेंगे जिनमें व्रत-उपवास करने से जाने-अनजाने में हुए पाप समाप्त हो जाते हैं.

संकष्टी चतुर्थी (27 अप्रैल, शनिवार): इस दिन विकट चौथ व्रत किया जाएगा. गणेशजी के विकट रूप की पूजा होगी और सूर्यास्त के बाद चंद्र पूजन कर के अर्घ्य देकर व्रत खोला जाएगा.

वरुथिनी एकादशी (4 मई, शनिवार): इस दिन वरुथिनी एकादशी होने से ईश्वर विष्णु की विशेष पूजा, अभिषेक और व्रत रखा जाएगा. इस व्रत से कई यज्ञों का पुण्य मिलता है.

वैशाख अमावस्या (8 मई, बुधवार): इस दिन वैशाख महीने की अमावस्या है. ये पितरों की पूजा का पर्व है. इस दिन स्नान-दान करना पुण्यदायी माना जाता है.

अक्षय तृतीया (10 मई, शुक्रवार): ये स्नान-दान और खरीदारी का महा पर्व है. इस दिन ईश्वर परशुराम का प्रकट्य उत्सव भी मनाते हैं.

गंगा सप्तमी (14 मई, मंगलवार): इस दिन गंगा पूजा और स्नान करने की परंपरा है. वैशाख महीने की इसी सप्तमी तिथि पर जन्हु ऋषि ने देवी गंगा को अपने कान से मुक्त किया था.

मेष संक्रांति (14 मई, मंगलवार): इस दिन सूर्य वृष राशि में प्रवेश करेगा. सूर्य के राशि बदलाव के इस पर्व पर स्नान-दान करने से जो पुण्य मिलता है उसका शुभ फल कभी समाप्त नहीं होता.

सीता नवमी (16 मई, गुरुवार): कुछ ग्रंथों और मान्यता के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर देवी सीता प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन देवी सीता की पूजा होती है.

मोहिनी एकादशी (19 मई, रविवार): वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी होने से ये दिन बहुत पुण्य देने वाला माना गया है. इसी तिथि पर ईश्वर विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था.

वैशाख पूर्णिमा (23 मई, गुरुवार): ये वैशाख महीने की अंतिम तिथि रहेगी. इस दिन स्नान-दान से कई यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है. इस दिन बुद्ध जयंती मनाई जाएगी.

 

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