लाइफ स्टाइल

जानें किस करवट सोने से क्या होतें है नुकसान…

Sleep rule in hinduism: हमने पहले कहा कि किस दिशा में पैर करके सोना चाहिए और घर की कौनसी दिशा सोने के लिए मुनासिब है. अब जानिए कि शास्त्रों के मुताबिक कब सोना चाहिए और कब उठना चाहिए. इसी के साथ ही किस करवट सोने से क्या हानि होता है और औंधा सोने या चित सोने से क्या होता है. आओ जानते हैं इस संबंध में जरूरी जानाकरी.

क्या है शास्त्रोक्त शयन विधि: 

  1. रात्रि के पहले प्रहर में सो जाना चाहिए और आखिरी प्रहर में उठ जाकर संध्यावंदन करना चाहिए.
  2. रात्रि 7 से 9 के बीच प्रथम प्रहर और रात 3 से सुबह के 6 बजे के बीच आखिरी प्रहर होता है.
  3. अधिकतर लोग रात्रि के दूसरे प्रहर यानी 9 से 12 के बीच सोते हैं जिसे निशिथ प्रहर कहते हैं.
  4. विद्वानों के मुताबिक युवाओं को रात 10 बजे सोना और 4 बजे उठाना चाहिए. अन्य को 6 बजे उठ जाना चाहिए.

किस करवट सोएं?

  • उल्टा सोए भोगी.
  • सीधा सोए योगी.
  • डाबा सोए निरोगी.
  • जीमना सोए रोगी.

अर्थात बाईं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है, शास्त्रीय विधान भी है. आयुर्वेद में ‘वामकुक्षि’ की बात आती है. शरीर विज्ञान के मुताबिक चित सोने से रीढ़ की हड्डी को हानि होता है और औंधा सोने से आंखें कमजोर होने लगती हैं. हमें शवासन में सोना चाहिए इससे आराम मिलता है कभी करवट भी लेना होतो बाईं करवट लें. बहुत जरूरी हो तभी दाईं करवट लें. सिर को हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा में रखकर ही सोना चाहिए. पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोने से लंबी उम्र एवं अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है.

सोने समय करें ये कार्य : सोते समय ईष्टदेव को याद करना चाहिए. उनका 108 बार नाम लेने से 7 प्रकार के भय दूर होते हैं. उठते समय 8 कर्मों को दूर करने के लिए ईष्टदेव की 1 माला करें.

सोते समय : 

  • मस्तक और पांव की तरफ किसी भी प्रकार का प्रकाश नहीं होना चाहिए. प्रकाश बाईं या दाईं और कम से कम 5 हाथ दूर होना चाहिए.
  • सोते समय मस्तक दीवार से कम से कम 3 हाथ दूर होना चाहिए.
  • हृदय पर हाथ रखकर, छत के पाट के नीचे और पांव पर पांव चढ़ाकर निद्रा न लें. पांव की और शैया ऊंची हो तो अशुभ है.
  • ललाट पर तिलक रखकर सोना अशुभ है (इसलिए सोते समय तिलक मिटाने को बोला जाता है.)
  • झूठे मुंह और बगैर पैर धोए नहीं सोना चाहिए.
  • सोने से 2 घंटे पूर्व रात का खाना खा लेना चाहिए. रात का खाना हल्का और सात्विक होना चाहिए.
  • अच्छी नींद के लिए खाने के बाद वज्रासन करें, फिर भ्रामरी प्राणायाम करें और अंत में शवासन करते हुए सो जाएं.

 

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