छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया पर गुड्डा-गुड़िया की शादी करने की मनाई जाती है परंपरा
रायपुर। सनातन धर्म में हर तीज त्योहार और व्रत का विशेष महत्व कहा गया है। उन्हीं में से एक है अक्षय तृतीया का पर्व, जिसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। सनातन प्रथा परंपरा का अनुसरण करते हुए छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया पर गुड्डा-गुड़िया की विवाह करने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में अक्षय तृतीया को ‘अक्ती’ के नाम से जाना जाता है। अक्ती पर्व मनाए जाने की तैयारियां महीनों पहले से प्रारम्भ हो जाती है। जिस परिवार में शादी योग्य युवक-युवती होते हैं, उनका शादी प्राय: अक्षय तृतीया के महामुहूर्त में ही संपन्न किया जाता है। यदि युवक-युवतियों का शादी न हो तो उस परिवार के छोटे बच्चे अपने गुड्डा-गुड़ियां का शादी रचाकर खुशियां मनाते हैं।
बच्चों की खुशियों में परिवार के बड़े-बुजुर्ग भी शामिल होते हैं। पुतरा-पुतरी का नकली शादी रचाने के जरिए बच्चों को छत्तीसगढ़ी संस्कृति में निभाए जाने वाले संस्कारों की जानकारी दी जाती है ताकि बच्चे जब बड़े हो जाएं तो उन्हें पहले से संस्कारों की जानकारी हो। इन संस्कारों में तालाब से चुलमाटी लाने की रस्म, तेल, हल्दी लगाने, सिर पर मौर-मुकुट बांधने, फेरे लेने, विदाई आदि रस्मों के बारे में सिखाया जाता है। अक्षय तृतीया को ध्यान में रखते हुए राजधानी रायपुर का आमापारा बाजार मिट्टी से बने गुड्डा-गुड़िया, सजावटी और शादी रस्मों के सामानों से गुलजार है।
सभी सजावटी सामान उपलब्ध
रायपुर आमापारा बाजार में गुड्डे-गुड़ियां बेच रही करुणा पुतान ने कहा कि अक्षय तृतीया यानी अक्ती पर गुड्डे-गुड़िया की विवाह की जाती है। घरों में मंडप सजाकर उनकी विवाह की जाती है। हमारे यहां कम मूल्य में मिट्टी के बने गुड्डा-गुड़िया मौजूद है। इसके अतिरिक्त मोर, मटका, कलश, चुनरी, माला जैसे सजावट के सामान भी मौजूद है। सभी सामानों की अच्छी डिमांड है। रायपुर डंगनिया क्षेत्र में ही इस मिट्टी गुड्डा-गुड़िया को बनाया गया है जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहे हैं। इन गुड्डा-गुड़िया की मूल्य भी काफी कम है। यहां आपको 50 रुपए, 60 रुपए, 80 रुपए, 100 रुपए और 150 रुपए में मिल जाएगी। ज्यादातर 50 से 60 रुपए वाले गुड्डा-गुड़िया बिकते हैं। मटका कलश का मूल्य 50 रुपए जोड़ी है। मोर का मूल्य 20 रुपए है। वहीं चुनरी का मूल्य 10 – 20 रुपए है। पुराने रीति रिवाज को निभाते हुए अक्षय तृतीया के दिन छत्तीसगढ़ में भी गुड्डा-गुड़िया की विवाह धूमधाम से की जाती है।