अक्षय तृतीया पर बना महायोग, 24 साल बाद नहीं गूंजेगी शहनाई
भागलपुर। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) मनायी जाती है। 10 मई को पंचांग के मुताबिक यह पवित्र तिथि है। इस दिन अक्षय तृतीया पर महायोग है। यह तिथि इतना शुभ होता है कि इस दिन बिना मुहूर्त देखे ही शादी कार्यक्रम होता है। इसके उल्टा 2000 के बाद इस बार शादी मुहूर्त ही नहीं है। ऐसे में इस बार शहनाई की गूंज सुनाई नहीं देगी। हालांकि, अन्य मांगलिक कार्यक्रम किये जा सकेंगे।
मई और जून में शुक्र ग्रह रहेगा अस्त, जुलाई से शादी का मुहूर्त
पंडित विजयानंद शास्त्री ने कहा कि मई और जून में एक भी दिन शादी मुहूर्त नहीं है। दोनों माह शुक्र ग्रह अस्त रहेगा। उसके शुक्र के उदित होने के बाद जुलाई में ही शादी के मुहूर्त मिलेंगे। यही स्थिति 24 वर्ष पहले 2000 में भी बनी थी, तब भी मई और जून में शादी मुहूर्त नहीं था।
जुलाई नौ दिन है शुभ मुहूर्त, फिर चार माह बाद 11 नवंबर को गूंजेगी शहनाई
पंडित अंजनी शर्मा ने कहा कि जुलाई माह में बहुत कम शुभ मुहूर्त है। दो, तीन, चार, नौ, 11, 12, 13, 14 एवं, 15 जुलाई को शुभ मुहूर्त है। आगे कहा कि 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी पर ईश्वर विष्णु क्षीर सागर में चार माह के लिए शयन के लिए चले जायेंगे। ऐसे में इस दिन ही चातुर्मास प्रारम्भ होगा। चार माह बाद 11 नवंबर को ही शादी मुहूर्त प्रारम्भ होगा।
कभी नष्ट नहीं होने वाला ही अक्षय, शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है विशेष
पंडित सौरभ मिश्रा ने कहा कि कभी नष्ट नहीं होने वाला ही अक्षय है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर विशेष तिथि होती है। इस दिन शुभ कार्य होता है। इसका महत्व बना रहता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में लोग मांगलिक कार्य इस दिन करते हैं। चाहे दुकान, मकान, कंपनी में प्रवेश करना या शुरुआत करना। धार्मिक कार्य भी खासतौर पर किया जाता है। इस दिन सोना-चांदी और अन्य रत्न की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। यह समृद्धि का प्रतीक है।
अक्षय तृतीया का ज्योतिषीय महत्व
पंडित सौरभ मिश्रा ने कहा कि ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो इस वर्ष की अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ रहेगी। अक्षय तृतीया पर 100 वर्ष यानी एक सदी बाद गजकेसरी राजयोग का निर्माण होने वाला है। इतना ही नहीं अक्षय तृतीया के दिन देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि में रहेंगे। साथ ही अक्षय तृतीया के दिन चंद्र देव भी वृषभ राशि में रहेंगे। यानी 10 मई को वृषभ राशि में गुरु और चंद्रमा का संयोग होगा।
आगे कहा कि अक्षय तृतीया सतयुग की आरंभ का प्रतीक है, जो पवित्रता और समृद्धि का स्वर्ण युग है। ईश्वर कृष्ण ने द्रौपदी को एक ऐसा अक्षय पात्र दिया था जो चमत्कारिक रूप से सदैव भोजन या अन्न प्रदान करता था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही देवी अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था, इसलिए माना जाता है कि अक्षय तृतीया नए उद्यम या निवेश प्रारम्भ करने का समय है।
अक्षय तिथि का शुरुआत 10 और समाप्ति 11 मई को
तृतीया तिथि शुरुआत – 10 मई शुक्रवार – सुबह 04:17 बजे
तृतीया तिथि खत्म – 11 मई शनिवार – रात 02:50 बजे
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त – सुबह 05:13 बजे से सुबह 11:43 बजे तक
अक्षय तृतीया का महायोग
ज्योतिषाचार्य पंडित आरके चौधरी ने कहा कि रोहिणी नक्षत्र: प्रातः 10:46 तक। इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र रहेगा। अतिगंड योग: दोपहर 12:16 बजे तक, उसके बाद सुकर्मा योग रहेगा। इस दिन रवि योग भी रहेगा।