तेलंगाना के मशहूर लोक गायक ‘गदर’ का 77 वर्ष की आयु में निधन
तेलंगाना के प्रसिद्ध लोक गायक ‘गदर’ का रविवार को 77 साल की उम्र में खराब स्वास्थ्य के कारण मृत्यु हो गया। गदर का वास्तविक नाम गुम्मडी विट्ठल राव था। लोक गायक का मृत्यु बढ़ती उम्र के साथ-साथ फेफड़ों एवं यूरिन संबंधी परेशानी के चलते हुई है। वह यहां अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में भर्ती थे।
तीन अगस्त को हुई थी बाइपास सर्जरी
अस्पताल ने एक बयान में कहा कि गदर, दिल की गंभीर रोग से पीड़ित थे और उन्हें 20 जुलाई को भर्ती कराया गया था। बयान में बोला गया है कि तीन अगस्त को उनकी बाइपास सर्जरी हुई थी और वह इससे ठीक हो गये थे। वह लंबे समय से फेफड़े एवं यूरिन संबंधी रोग से पीड़ित थे जो बढ़ती उम्र के साथ बढ़ती गई और यही उनके मृत्यु का कारण बनी।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी
कांग्रेस नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने तेलंगाना के प्रसिद्ध लोक गायक गदर के मृत्यु पर दुख जताते हुए ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। राहुल गांधी ने लिखा, तेलंगाना के प्रतिष्ठित कवि, गीतकार और उग्र कार्यकर्ता श्री गुम्मडी विट्ठल राव के मृत्यु के बारे में सुनकर दुख हुआ। तेलंगाना के लोगों के प्रति उनके प्यार ने उन्हें हाशिए पर उपस्थित लोगों के लिए अथक संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। उनकी विरासत हम सभी को प्रेरणा देती रहेगी
गदर से मिले थे राहुल गांधी
गदर को अंतिम बार 2 जुलाई को खम्मम में एक सार्वजनिक बैठक में राहुल गांधी के साथ देखा गया था। गदर के तेलंगाना विधानसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा हो रही थी। जीवन भर नक्सली समर्थक रहे गदर ने पहली बार दिसंबर 2018 में ही मतदान किया था।
कौन हैं गदर
मशहूर लोक गायक गदर को तेलंगाना आंदोलन का सबसे मशहूर चेहरा माना जाता है। उन्होंने भावपूर्ण गीतों और संगीत के साथ अलग राज्य आंदोलन को प्रभावित किया। 2014 में अलग तेलंगाना राज्य बनने के बाद गदर ने बोला कि आंदोलन ने तेलंगाना के लोक संगीत को राष्ट्र और विदेश में लोकप्रिय बना दिया। तेलंगाना के गठन के बाद गदर ने राज्य की राजनीति में स्थान बनाने की प्रयास की लेकिन असफल रहे। उनका सीएम के चंद्रशेखर राव से मतभेद हो गया क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें दरकिनार कर दिया गया है और उन्होंने उन पर दलितों की उपेक्षा करने का इल्जाम लगाया था। वह 2018 तक केसीआर के आलोचक थे, उन पर दलितों और हाशिए के समुदायों को विश्वासघात देने का इल्जाम लगाते थे, लेकिन अचानक उन्होंने मुख्यमंत्री और उनकी गवर्नमेंट के बारे में बात करना बंद कर दिया था।
गदर ने अपनी पार्टी का किया था ऐलान
2010 की आरंभ में जब तेलंगाना अलग आंदोलन चरम पर था तो गदर और केसीआर के बीच आमना-सामना हुआ। यह महसूस करते हुए कि आंदोलन पर तेलंगाना देश समिति (अब हिंदुस्तान देश समिति) का कब्जा हो रहा है, गदर ने अक्टूबर 2010 में तेलंगाना प्रजा फ्रंट (टीपीएफ) की आरंभ की, जिसका लक्ष्य दलितों और पिछड़े वर्गों को एकजुट करना और तेलंगाना आंदोलन पर नियंत्रण हासिल करना था। उन्होंने बोला था कि तेलंगाना जैसी स्थान में, जहां हाशिए पर रहने वाले समुदायों की बड़ी जनसंख्या है, सिर्फ़ जन आंदोलन ही सफल होंगे, सियासी दल नहीं।
अपनी ट्रेडमार्क धोती और लाल शॉल और डंडे के लिए प्रसिद्ध थे गदर
क्रांतिकारी कवि तेलंगाना आंदोलन के दौरान अपनी ट्रेडमार्क धोती, लाल शॉल और लकड़ी के डंडे के लिए जाने जाते थे, लेकिन 2017 में उन्होंने यह पोशाक छोड़ दी और पतलून, पूरी बाजू की शर्ट और टाई पहनने लगे। उन्होंने क्लीन शेव लुक अपनाया और अपनी दाहिनी कलाई पर एक घड़ी पहनना प्रारम्भ कर दिया, जिससे उन्होंने पहले जीवन भर परहेज किया था। हालाकि, वह 2022 में अपनी सामान्य पारंपरिक पोशाक में वापस आ गए।