कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर, CEO व MD उदय कोटक ने दी इस्तीफा
देश में प्राइवेट सेक्टर के तीसरे सबसे बड़े कर्जदाता कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर, CEO और MD उदय कोटक ने शनिवार को त्याग-पत्र दे दिया। उनका कार्यकाल 31 दिसंबर 2023 को समाप्त हो रहा था। उनकी स्थान बैंक के जॉइंट एमडी दीपक गुप्ता अस्थायी CEO-MD होंगे।
कोटक के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने लिखा,’1985 में नौजवान उदय मेरे पास निवेश का प्रस्ताव लेकर आए थे। तब मैं दुविधा में था। तब मैंने जो 1 लाख रुपए निवेश किए थे आज वो बढ़कर 2200 करोड़ रुपए हो गए हैं… यह फिनिश लाइन नहीं है, उदय नया चैप्टर प्रारम्भ कर रहे हैं।’ यहां और भी रोमांच हैं, मेरे दोस्त!
कोटक ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को हाथ से लिखा त्याग-पत्र सौंपा
’38 वर्ष पहले मैंने मुंबई फोर्ट में 300 वर्गफुट स्थान में 3 कर्मचारियों के साथ कोटक महिंद्रा बैंक की आरंभ की। आज यह 5 राष्ट्रों में मौजूदगी और 1 लाख कर्मचारियों के साथ शेयरहोल्डर्स के लिहाज से बहुत वैल्युएबल कंपनी है। मैंने अपने सपने को इस यादगार यात्रा में हर पल पूरी शिद्दत से जिया है। मैंने जेपी मॉर्गन और गोल्डमैन सॉक्स जैसे नामों को फाइनेंस इंडस्ट्री पर हावी होते देखा। मेरा सपना था कि हिंदुस्तान में ऐसी संस्था बनाऊं।
मुझे इस महान संस्थान का फाउंडर, प्रमोटर और शेयरहोल्डर होने के गौरव मिला। कर्मचारियों, को-वर्कर्स, स्टेकहोल्डर्स, रेगुलेटर्स, डायरेक्टर्स, दोस्तों, परिवार और उन सभी लोगों के समर्थन, मार्गदर्शन और सरेंडर के लिए आभारी हूं, जिन्होंने इस सपने को जीने में मेरा साथ दिया।’– उदय कोटक
मन से क्रिकेटर और एक्सीडेंटल बैंकर…हैं उदय कोटक
- कोटक का परिवार मूल रूप से पाक से है। बंटवारे के बाद वे हिंदुस्तान आ गए थे। गुजराती परिवार में जन्मे उदय एमबीए करने के बाद जॉब में जाना चाहते थे। पर पिता के बिजनेस करने की राय उन्हें पसंद आई।
- वह ऐसे घर में रहते थे, जहां 60 लोग एक किचन इस्तेमाल करते थे। कारोबार संयुक्त था। उदय बताते हैं, यह घर पर पूंजीवाद और समाजवाद का श्रेष्ठ उदाहरण था।
- कोटक ने कार लोन की सेल्स बढ़ाने के लिए 5,000 मारुति खरीद ली थी, ताकि उनसे ऋण लेने वाले ग्राहकों को तुरंत कार मिले। तब 6 महीने की वेटिंग होती थी।
- मन से क्रिकेटर और एक्सीडेंटल बैंकर… कोटक मुंबई की कांगा लीग से खेलते थे। सिर में चोट लगी तो क्रिकेट छोड़ना पड़ा।