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भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में करेगा बदलाव या रहेगा बरकरार जानें

आरबीआई (आरबीआई) इस हफ्ते अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में अल्पकालिक ब्याज रेट पर यथास्थिति बनाए रख सकता है जानकारों ने मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने और आर्थिक वृद्धि की रफ्तार संतोषजनक होने के आधार पर यह अनुमान जताया हैआरबीआई ने अपनी पिछली चार द्विमासिक समीक्षाओं में नीतिगत रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है आरबीआई ने अंतिम बार फरवरी में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया था रूस-यूक्रेन युद्ध और अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों की वजह से महंगाई बढ़ने के कारण मई 2022 में रेपो रेट में बढ़ोतरी का दौर प्रारम्भ हुआ था जो फरवरी, 2023 तक चलता रहा लेकिन अप्रैल, 2023 की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा से रेपो रेट स्थिर बनी हुई है

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक छह दिसंबर को प्रारम्भ होगी मौद्रिक नीति के संदर्भ में सर्वोच्च नीति नियामक एमपीसी के रेट संबंधी निर्णय की घोषणा आठ नवंबर को की जाएगी बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बोला कि केंद्रीय बैंक इस बार नीतिगत ब्याज दरों के साथ अपने मौद्रिक रुख पर भी पुराना रुख कायम रख सकता है

उन्होंने बोला कि जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान जीडीपी में दर्ज 7.6 फीसदी की वृद्धि यह भरोसा देती है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर है पिछले कुछ महीनों में कम मुद्रास्फीति के आंकड़े भी इस बात की गुंजाइश देते हैं कि दरें बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है नोमुरा में अर्थशास्त्री (भारत) ऑरोदीप नंदी को भी आशा है कि एमपीसी अपनी दिसंबर की नीतिगत बैठक में दरें नहीं बढ़ाने का सर्वसम्मत निर्णय करेगी

धानुका समूह के चेयरमैन आर जी अग्रवाल ने भी ऐसी ही आशा जताते हुए बोला कि भारतीय कृषि को तकनीकी प्रगति को अपनाना चाहिए और इसके लिए किफायती वित्तपोषण महत्वपूर्ण है आरबीआई की एमपीसी में तीन बाहरी और तीन अंदरुनी सदस्य हैं बाहरी सदस्यों के तौर पर शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं जबकि अंदरूनी सदस्यों में गवर्नर शक्तिकांत दास, कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन और डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा शामिल हैं

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