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निठारी कांड में कोर्ट के एक फैसले ने 19 जनों के कत्ल के कातिल की तलाश फिर से की खड़ी

2006 Noida serial murders: राष्ट्र के सबसे चर्चित निठारी काण्ड में न्यायालय के एक निर्णय ने 19 जनों के हत्या के हत्यारा की तलाश फिर से खड़ी कर दी है नोएडा में 19 परिवार ऐसे हैं, जिनके घरों के चिराग तो 17 वर्ष पहले बुझ गए थे, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक निर्णय ने उनके न्याय मिलने की आशा को भी समाप्त कर दिया हम बात कर रहे हैं नोएडा के निठारी काण्ड की, जिसने वर्ष 2006 में पूरे राष्ट्र और दुनिया को हिलाकर रख दिया था ये फोटोज़ उसी घर की हैं नोएडा सेक्टर 31 के कोठी नंबर D 5 के पीछे वाले नाले के हिस्से से डेढ़ दर्जन से अधिक नरमुंड और हड्डियां बरामद हुई थी ये सभी कंकाल एक महिला और 18 बच्चों के थे

निठारी काण्ड में कोठी मालिक मुनेंद्र सिंह पंढेर बारी

दिल दहला देने वाली तस्वीर 2006 की उस समय की है, जब नोएडा के कोठी नंबर D5 के नाले और अंदर के गटर से 19 नरमुंड निकाले जा रहे थे नोएडा पुलिस ने कोठी के मालिक मुनेंद्र सिंह पंडित और उनके नौकर सुरेंद्र कोहली को 18 बच्चे समय एक महिला के हत्या किडनैपिंग और दुष्कर्म के इल्जाम में अरैस्ट कर लिया, लेकिन 17 वर्ष बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोनों ही आरोपियों को बरी कर दिया मुनेंद्र सिंह पंढेर के ऊपर 6 मुकदमे चलाए जा रहे थे, जिनमें से तीन मुकदमे लोअर न्यायालय में ही खारिज हो गए थे और तीन मुकदमों में मुनेंद्र सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र सिंह कोहली को फांसी की सजा हुई थी आरोपी पक्ष में इस सजा को यूपी के उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जहां पर सबूत के अभाव में मुनेंद्र सिंह पंडित को कारावास से रिहा कर दिया वहीं सुरेंद्र को भी बारी कर दिया लेकिन कोहली अभी भी बाकी मामलों में ट्रायल पर कारावास में है

सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI नहीं जुटा पाई सबूत

कोर्ट ने पुलिस और CBI को फटकार लगाते हुए यह बोला था कि आरोपियों के विरुद्ध पुख्ता सबूत नहीं है और जब इस मुद्दे में मानव अंग स्मग्लिंग का मुद्दा सामने आया था तो इस पर जांच क्यों नहीं की गई नोएडा पुलिस के साथ साथ राष्ट्र की सबसे बड़ी जांच एजेंसी भी हत्यारा तक पहुंचने में सफल हो गई

जेल से बाहर खुली हवा में पंढेर

निठारी हत्याकांड के आरोपी मनिंदर सिंह पंडित कारावास से बाहर आ गए हैं और खुली फिजाओं में सांस ले रहे हैं परंतु जिनके बच्चे मरे हैं वह बिलख-बिल कर रो रहे हैं उनके पास कोई चारा नहीं है कि वह अपने बच्चों के गुनहगारों को सजा दिला सके न्यायालय ने राष्ट्र की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को फटकार लगाते हुए बोला कि जांच बहुत खराब थी और जांच की मौलिक प्रक्रिया को दूर रखा गया

क्या कह रहे हैं पीड़ित?

D5 कोठी के बाहर मिले 19 नरमुंडों में से एक निर्माण ज्योति का भी था, जिसकी उम्र 2006 में सिर्फ़ 10 साल की और उसके हत्या को 17 वर्ष बीत गए यानि कि अब उसकी उम्र 27 वर्ष होती ज्योति के माता-पिता ज्योति की यादों को भुला नहीं पा रहे हैं और माता-पिता ने 17 वर्ष की लंबी लड़ाई लड़ी है बाकी परिवार का भी कमोबेश यही हाल है लेकिन अब वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे सभी पीड़ित परिवार की माली हालत बहुत हंसता है-इसके लिए नोएडा के एक समाजसेवी ने अदालती खर्च उठाने की भी जिम्मेदारी ली है

सुप्रीम न्यायालय से न्याय की उम्मीद

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI भी इन गरीब परिवारों को न्याय नहीं दिला पाई उत्तर प्रदेश पुलिस और CBI से कहां चूक हुई जो सुरेंद्र कोहली और मुनेंद्र सिंह पंढेर बरी हो गए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अपने निर्णय में बोला कि अभियोजन पक्ष आरोपियों का इल्जाम साबित करने में असफल रहा जांच खराब ढंग से की गई सबूत इकट्ठा करने के बुनियादी नियमों का उल्लंघन किया गया अंग व्यापार के एंगल से जांच नहीं की गई पूरा मुद्दा सुरेंद्र कोहली के कबूलनामे पर आधारित है, जिसे सुरेंद्र कोहली ने न्यायालय में इनकार कर दिया यही वजह है कि 17 वर्ष बाद भी प्रश्न जस का तस है कि इन 19 जनों का हत्यारा कौन है? इसी का उत्तर मांगने अब पीड़ित परिवार उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा

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