पुल हादसे के बाद निर्माण कार्य रुका
सुपौल। कोसी नदी पर बनाये जा रहे पुल के सिगमेंट गिरने के बाद शनिवार को घटना स्थल के पांच सौ मीटर में बैरिकेटिंग कर दिया गया है। निर्माण कार्य बंद पड़ा है। जिस कारण निर्माण स्थल पर कंपनी के अभियंता और निर्माण कार्य में लगे मजदूर नदारद दिखे। जिस कारण निर्माण स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ था।
निर्माण स्थल पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से जिला प्रशासन द्वारा दंडाधिकारी के साथ पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है। जिसकी वजह से किसी भी लोग को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। निर्माण स्थल पर धारा 144 की कार्रवाई भी की गयी है। पुल गिरने के बाद जो लोग वहां तक शुक्रवार को नहीं पहुंच सके थे। वैसे लोग दूर से ही निर्माणाधीन पुल को निहारते दिखे।
शनिवार को प्रभात समाचार की टीम मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। जहां देखा गया कि प्रशासनिक पदाधिकारी के अलावे कोई भी लोग वहां तक नहीं पहुंच रहे थे। बीच-बीच में प्रशासन की गाड़ी दूर ही रूकती थी। जहां से पैदल ही पदाधिकारी घटना स्थल पर पहुंच कर प्रतिनियुक्त पदाधिकारी से जानकारी लेकर लौट रहे थे। लोग प्रशासन की हलचल को देख अपनों के बीच कई तरह की चर्चा कर रहे थे। लोगों के मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे थे। जिसका उत्तर वे लोग स्वयं दे रहे थे।
पत्रकार से भी क्षेत्रीय लोग पूछ रहे थे आखिर इतने बड़े प्रोजेक्ट में ऐसी कौन सी कमी रह गयी जो इस प्रकार की घटना घटित हो गयी। लोगों ने कहा कि गनीमत रही कि एक दर्जन लोग ही उस दिन निर्माण कार्य में लगे थे। यदि अधिक मजदूर कार्य में लगे होते तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी।
पुल का मलबा हटाने के लिए पहुंच चुकी है मशीन
घटना स्थल पर शनिवार को मलबा हटाने के लिए बड़े-बड़े क्रेन और हाइड्रा पहुंच चुकी थी। लेकिन मलबा को नहीं हटाया गया था। गाड़ी टूटे सिगमेंट के पास खड़ी थी। गाड़ी के चालक गाड़ी के पास उपस्थित थे। वहीं दूर एक टेंट में पुलिस बल के साथ प्रतिनियुक्त पदाधिकारी अपनी डयूटी कर रहे थे। पुल से पांच सौ मीटर की दूरी पर पुल के समानांतर बनाये गये चचरी पर आमलोगों को आवागमन अन्य दिनों की तरह हो रहा था।
बीच-बीच में लोग चचरी पर रूक कर पुल को निहारते जा रहे थे। लेकिन वहां उपस्थित पुलिस बल लोगों को चचरी पर ठहरने नहीं दे रहे थे। पुलिस बाइक चालकों को चचरी पर बाइक परिचालन नहीं करने की अपील कर रहे थे। बावजूद कई लोग बाइक चलाकर इस पार से उस पार जाते दिख रहे थे।
जांच पर टिकी है लोगों की नजर
पुल के सिगमेंट गिरने के बाद एक ओर जहां पुल निर्माण पर काले बादल छा गये हैं। वहीं दूसरी ओर लोगों के जेहन में कई प्रश्न भी उठने लगे हैं। लोग इस बात से काफी परेशान नजर आ रहे है कि यदि जांच लंबी चली तो पुल का कार्य अधर में लटक जायेगा। जिस गति से पुल निर्माण का कार्य चल रहा था। उससे लोगों को लग रहा था कि इसी साल पुल पर लोगों के गाड़ी फर्राटे भरेगें। लोग लंबी दूरी की यात्रा काफी कम समय में तय कर लेगें। लोग राष्ट्र के सबसे बड़े पुल निर्माण को लेकर काफी आशान्वित और उत्साहित थे। जो उत्साह इस हादसे के बाद समाप्त हो गयी है।
पुल हादसे में जितनी मुंह उतनी बातें कही जा रही है। लेकिन यह तय बताया जा रहा है कि जब तक जांच टीम की रिपोर्ट नहीं आयेगी तब तक निर्माण कार्य बंद रह सकता है। यूं कहे तो अब जांच टीम की रिर्पोट ही इस पुल की नयी तकदीर तय करेगी। यदि जांच में सब कुछ ठीक आया तो हादसे की ज़िम्मेदारी तय कर आगे का कार्य जारी रखा जा सकता है। वहीं निर्माण कार्य के गुणवत्ता में कमी आयी तो फिर यह परियोजना लंबी खींच सकती है।
घटना स्थल पर पहुंची तीन सदस्यीय जांच टीम
पुल के टूटे सिगमेंट की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम घटना स्थल पर पहुंचे थे। जांच टीम में शामिल एक्सपर्ट पुल स्ट्रेक्चर सहित अन्य चीजों को गौर से देख रहे थे। इसी बीच छतीसगढ से कांग्रेस पार्टी की राज्यसभा सांसद क्षेत्रीय पार्टी कार्यकर्ता के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। सांसद के पहुंचने के बाद जांच दल में शामिल लोग पुल के नजदीक खड़े होकर आपस में बातें करने लगे। वहीं सांसद टूटे सिगमेंट के अगल-बगल जाकर पुल का अवलोकन करने लगी। जहां उन्होंने अपने मोबाइल में टूटे पुल की तस्वीर भी कैद की।
इसी बीच डीएम कौशल कुमार मौके पर पहुंच कर जांच दल से परिचय करते हुए पुल के संदर्भ में वार्ता में लीन हो गये। इतने में सांसद वहां से चलकर जांच दल के पास पहुंच गयी। जहां डीएम ने सांसद को आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए वहां से चले जाने की अपील की। बोला कि आचार संहिता का पालन कराना जिला प्रशासन का कार्य है। वहीं जांच दल को जांच में किसी प्रकार का व्यवधान ना हो, इसके लिए वे तुरन्त यहां से निकल जायें। इसके बाद सांसद वहां से निकल गयी।
दुर्घटना के कारणों का करेंगे आकलन
जांच दल में शामिल सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के पूर्व एडीजी एके श्रीवास्तव, महेश टंडन, एवं जीएल वर्मा सहित तीन प्रतिष्ठित पुल जानकारों को हादसा के कारणों का आकलन और जरूरी उपचारात्मक उपाये करने के लिए घटना स्थल पर भेजा गया है। एमओआरटीएच के सदस्य अनिल चौधरी सहित एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी भी मुद्दे पर तुरन्त कार्रवाई करने के लिए स्थल पर पहुंचे थे। जिन्होंने मीडिया से वार्ता करने से मना कर गये।
बारीकी से हो रही है जांच : डीएम
जांच दल के साथ मौके पर उपस्थित डीएम कौशल कुमार ने बोला कि जांच टीम शुक्रवार की शाम ही सुपौल पहुंच गयी थी। टीम बारीकी से हर पहलुओं की जांच कर रही है। जांच के बाद ही इस घटना का ठीक कारण सामने आ पाएगा। बोला कि अब यह बात सामने आ गई है कि मलबे के अंदर कोई अन्य मजदूर नहीं दबा हुआ है। कल सभी श्रमिकों का अटेंडेंस लिया गया था। जिससे अब ठीक जानकारी सामने आ गयी है। डीएम के साथ एसपी शैशव यादव, एसडीएम इंद्रवीर कुमार और एसडीपीओ आलोक कुमार आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।
घटना की हो निष्पक्ष जांच और गुनेहगार पर हो कार्रवाई : सांसद
बकौर में शुक्रवार को हुए पुल हादसे के बाद घटना स्थल पर विभिन्न पार्टी के नेताओं का पहुंचना बदस्तूर जारी है। इसी कड़ी में शनिवार को कांग्रेस पार्टी राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन बकौर पहुंची। उन्होंने बोला कि घटना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने घटना में मृतक मजदूर के परिजन को सरकारी जॉब देने, घायलों को आजन्म स्वास्थ्य सुविधा के साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी जॉब देने की मांग की। बोला कि इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने बोला कि 12 स्लैब गिरा है। दूसरे स्थान भी दरार है। क्या पुल निर्माण से पहले मिट्टी की जांच की गयी थी। मेटेरियल में कोई फॉल्ट है, इसकी जांच होनी चाहिए। गवर्नमेंट को तुरन्त इसपर एक्शन लेना चाहिए। उन्होंने सवालिये लहजे में बोला कि क्या गवर्नमेंट या निर्माण कंपनी इसकी गारंटी लेगी कि पुन: ऐसी घटना नहीं होगी। सांसद के साथ कांग्रेस पार्टी जिलाध्यक्ष प्रो विमल कुमार यादव, सूर्य नारायण यादव आदि उपस्थित थे।