झारखण्ड

सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से माँगा जवाब

मनी लॉन्ड्रिंग मामला: सुप्रीम न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मुद्दे में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय से उत्तर मांगा. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी कर 6 मई तक उत्तर देने का निवेदन किया है. न्यायालय ने यह भी बोला कि झारखंड हाई कोर्ट मुद्दे में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली सोरेन की याचिका पर अपना निर्णय सुना सकता है. 28 फरवरी को आरक्षित होने के बाद फैसला अपेक्षित था.

सोरेन का अगुवाई कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अरुणाभ चौधरी ने मुद्दे में अंतरिम जमानत लेने का इरादा जताया. सोरेन ने 24 अप्रैल को शीर्ष न्यायालय का रुख किया और बोला कि हाई कोर्ट मुद्दे में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर निर्णय नहीं सुना रहा है.

कब अरैस्ट हुए थे हेमंत सोरेन?

सोरेन को इस मुद्दे में 31 जनवरी को झारखंड के सीएम पद से त्याग-पत्र देने के बाद अरैस्ट किया गया था और पार्टी के वफादार और राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को उनके उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया गया था. मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सात घंटे तक पूछताछ करने के बाद उन्हें अरैस्ट कर लिया गया.

सोरेन के ख़िलाफ़ मुक़दमा

सोरेन के विरुद्ध जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन के भूखंड से संबंधित है, जिस पर प्रवर्तन निदेशालय ने इल्जाम लगाया है कि इसे उन्होंने गैरकानूनी रूप से हासिल किया था. मनी लॉन्ड्रिंग की जांच राज्य गवर्नमेंट के ऑफिसरों सहित कई लोगों के विरुद्ध भूमि “घोटाले” मामलों में झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई एफआईआर से प्रारम्भ हुई है.

ईडी कथित तौर पर “करोड़ों मूल्य की जमीन के विशाल पार्सल हासिल करने के लिए जाली/फर्जी दस्तावेजों की आड़ में डमी विक्रेताओं और खरीदारों को दिखाकर आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर करके क्राइम की भारी मात्रा में कमाई” की जांच कर रही है.

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