रांची में सरहुल शोभायात्रा शुरू होने की जाने दिलचस्प इतिहास
रांची : रांची में सरहुल की शोभायात्रा कैसे प्रारम्भ हुई, इसके पीछे एक दिलचस्प इतिहास है। सिरोमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल की जमीन पर एक आदमी द्वारा कब्ज़ा किया जा रहा था और वह उस जमीन को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। सिरोमटोली के क्षेत्रीय लोगों ने जमीन बचाने के लिए स्व कार्तिक उरांव और पूर्व मंत्री करमचंद भगत से सहायता मांगी। तब कार्तिक उरांव और करमचंद भगत सहित अन्य लोग वहां जुलूस लेकर पहुंचे। जमीन को कब्ज़ा मुक्त कराया गया और वहां पर पूजा की गयी। इसके बाद से ही सरहुल पर शोभायात्रा निकालने का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। आरंभ में शोभायात्रा में भीड़ कम होती थी और और लोग मांदर, नगाड़े आदि लेकर इसमें शामिल होते थे। धीरे-धीरे शोभायात्रा में शामिल होनेवाली सरना समितियों की संख्या बढ़ती गयी।
डॉ रामदयाल मुंडा का सराहनीय सहयोग रहा
1980 के दशक में डॉ रामदयाल मुंडा के आने के बाद से शोभायात्रा की प्रसिद्धि में और बढ़ोत्तरी हुआ। सरना नवयुवक संघ के अध्यक्ष डॉ हरि उरांव बताते हैं कि पहले आदिवासी समुदाय में अपने गीतों और नृत्यों के प्रदर्शन को लेकर हिचक होती थी। दूसरे प्रदेशों से आये लोग भी इसे हेय दृष्टि से देखते थे। लेकिन स्व डॉ रामदयाल मुंडा जब अमेरिका से वापस लौटे, तो उन्होंने इस हिचक को दूर किया। सरहुल की शोभायात्रा में जब वे गले में मांदर लेकर उतरते थे, तो वह देखने लायक दृश्य होता था। उन्होंने लोगों में अपनी संस्कृति को लेकर अभिमान का रेट भरा। सरना नवयुवक संघ जैसे संगठनों की बदौलत इसे और विस्तार मिला।
शोभायात्रा में समय के साथ परिवर्तन
अपनी आरंभ के बाद से सरहुल की शोभायात्रा में कई बदलाव होते रहे हैं। 2007-08 के बाद से सरहुल की शोभायात्रा में डीजे, साउंड सिस्टम, लाइट जैसी चीजों का इस्तेमाल बढ़ने लगा था। जिसके बाद सरना समितियों को अपील करनी पड़ी कि अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों और परिधानों में ही शोभायात्रा में शामिल हो। अभी भी डीजे लाइट, साउंड आदि का प्रयोग हो रहा है, लेकिन साथ ही आदिवासी परिधानों, वाद्य यंत्रों और गीतों का भी इस्तेमाल बढ़ा है। एक दूसरा बदलाव यह था कि सरहुल शोभायात्रा में झांकियां निकलने लगीं।
इस बार पुरस्कार की घोषणा
इस बार सरहुल में एक नई चीज यह हुई कि केंद्रीय सरना समिति (अजय तिर्की) द्वारा सर्वश्रेष्ठ सरहुल की शोभायात्रा को एक लाख रुपये, दूसरे जगह के लिए 50 हजार और तीसरे जगह पर रहनेवाली शोभायात्रा को 25 हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है। सरहुल की शोभायात्रा केवल एक आदिवासी उत्सव का प्रदर्शन मात्र नहीं है। यह झारखंडी समाज में सांस्कृतिक बदलाव लाने का वाहक भी है।
मारवाड़ी कॉलेज में मांदर की थाप पर झूमे लोग
रांची। मारवाड़ी कॉलेज में मंगलवार को सरहुल पूर्व संध्या कार्यक्रम सह व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विद्यार्थियों द्वारा परंपरागत सरहुल नृत्य प्रस्तुत किया गया। मौके पर मांदर की थाप पर मौजूद लोग झूम उठे। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ मनोज कुमार ने बोला कि प्रकृति के मुताबिक हमारे सारे क्रियाकलाप निर्धारित हैं। यदि हम उसे सुरक्षित रखेंगे, तभी हमारे सारे क्रियाकलाप ठीक रूप में रहेंगे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ हरि उरांव ने पर्व को लेकर विशेष जानकारी दी। विशिष्ट वक्ता सरन उरांव ने सरहुल पूजा पद्धति और अस्तित्व के बारे में बताया। उन्होंने इस पर्व को प्रकृति पर्व के साथ प्रेम, भाईचारे और एकता का भी रूप बताया। वहीं विद्यार्थियों द्वारा कुडुख सरहुल नृत्य, नागपुरी सरहुल नृत्य एवं मुंडारी सरहुल नृत्य प्रस्तुत कर सामूहिकता, प्रेम और भाईचारे को दर्शाया गया। मौके पर टीआरएल की विभागाध्यक्ष प्रो महामनी कुमारी, प्रोफेसर इंचार्ज डॉ आरआर शर्मा, डॉ एएन शाहदेव, डॉ अवध बिहारी महतो और डॉ अशोक कुमार महतो सहित अन्य उपस्थित थे।
11 को शोभायात्रा
प्रकृति पर्व सरहुल की आरंभ बुधवार (10 अप्रैल ) से होगी। बुधवार को उपवास का दिन है। पूजा में शामिल होनेवाले लोग और सभी मौजा के पाहन उपवास करेंगे। सुबह में पाहन केकड़ा और मछली पकड़ेंगे। शाम को सरना स्थलों पर जलरखाई पूजा होगी। मुर्गे-मुर्गियों की बलि भी दी जायेगी। इसके अनुसार नये घड़े में विधिपूर्वक पानी रखा जायेगा। एक दिन बाद घड़े के पानी को देखकर पाहन बारिश की भविष्यवाणी करेंगे। 11 अप्रैल को सभी सरनास्थलों में पूजा होगी। रांची विवि के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में होनेवाली पूजा में गवर्नर को आमंत्रित किया गया है। पूजा के बाद शोभायात्रा निकाली जायेगी। सभी शोभायात्रा सिरोमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल में जाकर अपने-अपने मौजा में वापस लौट आयेगी। 12 अप्रैल को फूलखोंसी का आयोजन होगा।
सरहुल पूर्व संध्या कार्यक्रम की तैयारी पूरी :
10 अप्रैल को ही मोरहाबादी स्थित दीक्षांत मंडप में सरहुल पूर्व संध्या कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। सरना नवयुवक संघ के तत्वावधान में होनेवाले इस आयोजन में एकल गीत और सामूहिक नृत्य का आयोजन होगा।