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वानुनु ने खोला इजराइल का सबसे बड़ा राज,प्यार में फंसने की दिलचस्प कहानी…

इज़राइल हमास युद्ध: 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के हमले से प्रारम्भ हुआ युद्ध अब भी जारी है हमास ने इजराइल पर 5,000 से अधिक रॉकेट दागे इजराइल पर हुआ यह धावा उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद की बड़ी विफलता थी दुनिया को आश्चर्य हुआ कि मोसाद को कुछ पता क्यों नहीं चला लेकिन इसके अतिरिक्त मोसाद शत्रु के राज़ पता लगाने, उसका पता लगाने और उसे सज़ा देने में भी बहुत होशियार हो गई है

ऐसी ही एक घटना इजराइल के परमाणु बम का राज खोलने वाले मोर्दचाई वानुनु के मुद्दे में भी घटी थी पकड़ी जाने के बावजूद भी उसने कई वर्षों तक उस पर भरोसा नहीं किया और मोसाद ने उसे अपने प्रेम जाल में फंसा लिया यह एक मोसाद जासूस के प्यार में फंसने की दिलचस्प कहानी है…

मोर्दचाई वानुनु ने 1976 से 1985 तक इज़राइल में डिमोना परमाणु संयंत्र में काम किया यह बेर्शेबा के पास नेगेव रेगिस्तान में था यहां मोर्दचाई वानुनु परमाणु बम बनाने के लिए प्लूटोनियम बना रहा था ‘परमाणु हथियार और अप्रसार: एक संदर्भ पुस्तिका’ के अनुसार, मोर्दचाई वानुनु ने बेन गुरियन यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र का शोध किया कहा जाता है कि इसके बाद उन्हें फ़िलिस्तीनियों से सहानुभूति होने लगी थी इसी वजह से मोर्दचाई वानुनु सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ गया फिर आख़िरकार 1985 में मोर्दचाई वानुनु को निकाल दिया गया

 

लेकिन जॉब से निकाले जाने से पहले वानुनु ने गुप्त रूप से डिमोना परमाणु संयंत्र की लगभग 60 फोटोज़ लीं बाद में वह राष्ट्र छोड़कर ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए वहां वानुनु ने ईसाई धर्म अपना लिया इसके बाद मोर्दचाई वानुनु ने लंदन स्थित संडे टाइम्स के पत्रकार पीटर हुन्नम से बात की मोर्दचाई वानुनु ने उन्हें परमाणु संयंत्र की फोटोज़ भी दीं

साढ़े पांच हजार किलोमीटर दौड़ने के बाद भी वनु टिक नहीं पाईं

फिर 5 अक्टूबर 1986 को वनुनु से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर संडे टाइम्स में समाचार छपी और इसने दुनिया में भूचाल ला दिया इसकी वजह से मध्य पूर्व समेत पूरे विश्व के लोग डरे हुए हैं इससे इजराइल के परमाणु बम प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा अब इस्राएल को इसका बदला लेना था और मोर्दकै को इसका दंड स्वयं भुगतना था फिर मोसाद ने ऐसा जाल बुना कि इजराइल से 5.5 हजार किलोमीटर दूर भागने के बावजूद मोर्दचाई बच नहीं सका

सुंदरी के जाल में कैसे फंसी वनू?

पीटर हन्नम ने अपनी पुस्तक ‘द वूमन फ्रॉम मोसाद’ में वानु के हनीट्रैप में फंसने की कहानी लिखी है कहा जाता है कि 24 सितंबर 1986 को वनुनु ने लंदन की एक सड़क पर एक खूबसूरत लड़की को खड़ा देखा था वह खोई हुई लग रही थी मौका देखकर वनू ने उससे कॉफी डेट के लिए पूछा पहले तो लड़की शरमाई लेकिन फिर उसने हाँ कह दी कॉफ़ी डेट पर वार्ता के दौरान सुंदरी ने कहा कि उसका नाम ‘सिंडी’ है

वनू को सिंडी इतनी पसंद आई कि उसने उसके साथ ट्रिप पर जाने का प्लान बना लिया पहले तो सिंडी ने दिखावा किया कि वह वानु को अपने घर का पता नहीं देना चाहती लेकिन जल्दबाजी में वानु सिंडी को बताता है कि वह द माउंटबेटन होटल में रुका है उसका कमरा नंबर 105 है वह वहां जॉर्ज फोर्स्टी के फर्जी नाम से रहता है

मोसाद की पकड़ में कैसे आई वानु?

इसके बाद दोनों इतने करीब आ गए कि आखिरकार 30 सितंबर को वह दिन आ गया जब वानुनु सिंडी को लेकर इटली के रोम पहुंच गया करीब 15 दिन बाद समाचार आई कि वानु इजराइल में हिरासत में है न्यूज़वीक के अनुसार, जब सिंडी एक नौका पर इतालवी क्षेत्रीय जल से बाहर निकली, तो मोसाद के जासूसों ने उसे पकड़ लिया और सीधे इज़राइल ले गए बाद में वनुनु पर केस चलाया गया और 1988 में 18 वर्ष की सज़ा सुनाई गई

बाद में पता चला कि सिंडी का वास्तविक नाम शेरिल हैनन बेंटो है मोसाद ने उसे ढूंढने का काम सौंपा था हैरानी की बात यह है कि जब 1987 में सिंडी की वास्तविक पहचान के बारे में समाचार आई, तो वानुनु ने इस समाचार पर विश्वास करने से इनकार कर दिया लेकिन, बाद में उन्हें मानना ​​पड़ा कि उन्हें प्यार के नाम पर विश्वासघात मिला है

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