चीन ने अपने बेरोजगारी के नए आंकड़े देने में की आनाकानी
चीन के सरकारी आंकड़ों पर यदि विश्वास करें तो वर्ष 2022 में राष्ट्र की प्रजनन रेट एतिहासिक तौर पर गिर गई और 1.09 पर पहुंच गई हैं। चीन के सरकारी रिसर्च इंस्टीट्यूट चाइना पॉपुलेशन एंड डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर के जनसांख्यिकी जानकारों की तरफ से कहा गया है कि पिछले वर्ष की प्रजनन रेट वर्ष 2021 के 1.15 के आंकड़े से भी कम हो गई है।
बिना बच्चों वाले कपल की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई
यह डेटा जापान से भी कम है, जहां पर वृद्धों की संख्या सबसे अधिक है। दक्षिण कोरिया से थोड़ा सा ज्यादा है जहां पर प्रजनन रेट 0.8 होने का अनुमान है। हांगकांग स्थित फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन की मानें तो चीनी क्षेत्र में बिना बच्चों वाले जोड़ों की संख्या ‘खतरनाक’ स्तर तक पहुंच गई है। मंगलवार को आई एक स्टडी के अनुसार वर्ष 2017 और 2022 के बीच बिना बच्चों वाले कपल की हिस्सेदारी दोगुनी से ज्यादा 20.6 प्रतिशत से 43.2 प्रतिशत तक हो गई है।
हांगकांग की जनसंख्या में 2.1 प्रतिशत का इजाफा
जहां एक ओर चीन की जनसंख्या कम होने की परेशानी से वह परेशान है, वहीं इस सप्ताह आए सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि जून तक 12 महीनों में हांगकांग की जनसंख्या में 2.1 प्रतिशत का बढ़ोत्तरी हुआ है। वर्ष 2020 में Covid-19 के कड़े बैन और आंदोलन के विरुद्ध चीनी एक्शन के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया जा रहा ह। इन दोनों ही कारणों की वजह से काफी लोग हांगकांग से चले गए थे।
चीन में बूढ़ों की बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय
चीन की जनसंख्या छह दशकों में पहली बार पिछले वर्ष 850,000 घटकर 1.41 बिलियन रह गई। सदी के अंत से पहले इसके एक अरब से भी नीचे आने का अनुमान है। इस वर्ष अप्रैल में, हिंदुस्तान की जनसंख्या अनुमानित 1.43 बिलियन हो गई। यह चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र बन गया। चीन की घटती जनसंख्या के अतिरिक्त वृद्धों की बढ़ती जनसंख्या नीति निर्माताओं के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।
2016 में समाप्त कर दी थी एक बच्चा पैदा करने की अनुमति
साल 2016 में, चीन ने अपनी एक-बच्चा नीति को खत्म कर दिया था। यह नीति वर्ष 1979 से जारी थी। अब राष्ट्र में हर कपल को तीन बच्चे तक पैदा करने की स्वीकृति दे रहा है। कुछ प्रांत प्रतिबंधों में ढील देने में आगे बढ़ गए हैं। जनवरी में 80 मिलियन से ज्यादा लोगों वाले सिचुआन प्रांत ने जन्म पंजीकरण पर सभी प्रतिबंध हटा दिए थे। साथ ही प्रति माता-पिता बच्चों की संख्या पर लगी सीमा भी खत्म कर दी।