अंतर्राष्ट्रीय

भारत के पड़ोसी देश में एक बार फिर हिंदू राष्ट्र और राजशाही बहाली की हुई मांग तेज

भारत के पड़ोसी राष्ट्र में एक बार फिर हिंदू देश और राजशाही की बहाली की मांग तेज हो गई है. और इसके समर्थन में नेपाल की राजधानी काठमांडू में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई जैसे ही प्रदर्शनकारियों ने प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश किया और बैरिकेड्स तोड़ दिए, पुलिस ने आंसू गैस, लाठीचार्ज और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.

विरोध प्रदर्शन का आह्वान दक्षिणपंथी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने किया था. उनके हजारों कार्यकर्ताओं और राजशाही के समर्थकों ने राजधानी में मार्च किया और ‘राजशाही वापस लाओ, गणतंत्र को नष्ट करो’ के नारे लगाए.

विरोध प्रदर्शन के लिए जुटी लोगों की भीड़ से काठमांडू की लाइफलाइन कही जाने वाली सड़क पूरी तरह बंद हो गई प्रदर्शनकारी नेपाल की प्रशासनिक राजधानी सिंह दरबार की ओर बढ़ने लगे क्षेत्रीय ऑफिसरों ने क्षेत्र में कर्फ्यू कड़ा कर दिया है, क्योंकि इन विरोध प्रदर्शनों के कारण अक्सर झड़पें होती रहती हैं.

आरपीपी ने विरोध की घोषणा की

प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को अपनी 40 सूत्री मांगें सौंपने के एक महीने बाद आरपीपी ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था. 9 फरवरी को राजशाही की बहाली और हिंदू देश की बहाली के लिए एक अभियान की घोषणा करते हुए, आरपीपी ने 9 अप्रैल (मंगलवार) को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया. संभावित तनाव और अत्याचार को देखते हुए, नेपाल पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) सहित लगभग 7 हजार पुलिसवालों को विरोध स्थल और उसके आसपास तैनात किया गया था.

2006 में नेपाल में राजशाही खत्म हो गई

2006 में, नेपाल ने अपनी सदियों पुरानी कानूनी राजशाही को खत्म कर दिया. इसके बाद राजा ज्ञानेंद्र ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया और आपातकाल लगा दिया तथा सभी नेताओं को नज़रबंद कर दिया. आंदोलन, जिसे “पीपुल्स मूवमेंट II” के नाम से भी जाना जाता है, के परिणामस्वरूप रक्तपात हुआ, प्रदर्शनकारियों पर सरकारी कार्रवाई में दर्जनों लोग मारे गए. कई हफ्तों के हिंसक विरोध प्रदर्शन और बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद, ज्ञानेंद्र ने हार मान ली और भंग संसद को बहाल कर दिया. नए लोकतंत्र की आरंभ लोकतंत्र के स्वरूप से होती है. राजशाही समाप्त होने के 18 वर्ष के भीतर एक बार फिर दक्षिणपंथी लोग इसकी बहाली की मांग को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं

Related Articles

Back to top button