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प्रधानमंत्री शहबाज़ ने कश्मीर के लिए ईरान के समर्थन की सराहना की और कहा….

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने एक बार फिर हिंदुस्तान दौरे पर आए विदेशी नेता के सामने कश्मीर का मामला उठाया है.  ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान हुई पाकिस्तानी पीएम की नापाक हरकत एक बार फिर देखने को मिली. बता दें कि ईरानी राष्ट्रपति मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बावजूद वर्तमान में इस्लामाबाद की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. पाक की राष्ट्रीय राजधानी में एक संयुक्त संबोधन के दौरान, पीएम शहबाज़ ने कश्मीर के लिए ईरान के समर्थन की सराहना की और बोला कि उन्होंने जम्मू और कश्मीर में तथाकथित स्थिति पर चिंता व्यक्त की, जिसे इस्लामाबाद ने हिंदुस्तान के कब्जे वाला क्षेत्र”करार दिया.

अंग्रेजी समाचार दैनिक डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम शहबाज ने हिंदुस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोगों की दुर्दशा पर भी प्रकाश डाला और उनके समर्थन में आवाज उठाने के लिए ईरानी राष्ट्रपति की सराहना की. हालांकि, संयुक्त संबोधन बयान में इस मामले पर और अधिक उल्लेख नहीं किया गया है. सच्चाई यह है कि मीडिया के साथ अपने वार्ता के दौरान रायसी ने एक बार भी कश्मीर का नाम नहीं लिया. पाक के इस असत्य का खुलासा स्वयं कई वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकारों ने किया है. उन्होंने बोला है कि ईरानी राष्ट्रपति ने अपने पूरे बयान में एक बार भी कश्मीर का नाम नहीं लिया.

कश्मीर मामले पर ईरान की आलोचना

गौरतलब है कि हिंदुस्तान और ईरान दोनों के बीच अच्छे राजनयिक संबंध हैं. हालाँकि, ईरानी नेता, कश्मीर से जुड़े मामलों पर हमेशा पाक के पक्ष का समर्थन करते रहे हैं. नेता ने अक्सर कश्मीर के लोगों के साथ समर्थन और एकजुटता के बयान जारी किए हैं और वह हर उपदेश (धार्मिक या नैतिक विषय पर एक भाषण) में फिलिस्तीनियों और कश्मीरियों के न्यायसंगत संघर्ष का उल्लेख करते हैं. तेहरान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इमाम खुमैनी द्वारा साफ रूप से बताई गई कश्मीर पर ईरान की स्थिति 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से लगातार बनी हुई है. इमाम, जो कुछ इतिहासकारों के मुताबिक अपनी जड़ें कश्मीर में ढूंढते हैं, ने एक बार इसे साफ रूप से साफ कर दिया था दौरे पर आए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बोला कि जब तक कश्मीर में रक्तपात जारी रहेगा, दोनों राष्ट्रों के बीच संबंध नहीं सुधरेंगे. उनके उत्तराधिकारी ने कश्मीर पर भी यही राह अपनाई है, जो उनके बयानों और उपदेशों में झलकता है. दूसरी ओर, हिंदुस्तान का हमेशा से यह दृढ़ रुख रहा है कि कश्मीर उसका आंतरिक मुद्दा है. नयी दिल्ली ने कई मौकों पर साफ रूप से बोला है कि किसी भी विदेशी राष्ट्र या संस्था को इस मामले पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

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