तालिबान सरकार ने सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों पर की गोलीबारी
पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर सबकुछ ठीक नहीं है. दरअसल, हाल के दिनों में दोनों राष्ट्रों के बीच संबंध खराब हो रहे हैं और 18 मार्च की घटना के बाद यह और खराब होना तय है. इस्लामाबाद ने पुष्टि की कि उसने पड़ोसी राष्ट्र में खुफिया-आधारित आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया था, जिसमें आठ नागरिकों की मृत्यु हो गई. उत्तर में तालिबान गवर्नमेंट ने सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों पर गोलीबारी की. अब, दोनों राष्ट्रों के बीच तनाव चरम पर है, पाक अफगानिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का इल्जाम लगा रहा है और तालिबान इस इल्जाम से इनकार कर रहा है. दरअसल, यह पाक गवर्नमेंट और अफगानिस्तान में तालिबान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव का एक और अध्याय होगा.
लेकिन वास्तव में क्या हुआ? और यह घटना इस्लामाबाद और काबुल के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को कैसे प्रभावित करती है? 18 मार्च की तड़के, पाक ने पूर्वी अफगानिस्तान के पक्तिका और खोस्त प्रांतों में दो हवाई हमले किए. तालिबान ऑफिसरों के अनुसार, इन हमलों में तीन बच्चों सहित कम से कम आठ लोग मारे गए. तालिबान गवर्नमेंट के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने घटना की पुष्टि करते हुए पाक को चेतावनी दी कि वह अपने क्षेत्र में नियंत्रण की कमी और समस्याओं के लिए अफगानिस्तान को गुनाह न दे. उन्होंने बोला कि ऐसी घटनाओं के बहुत बुरे रिज़ल्ट हो सकते हैं जो पाक के नियंत्रण में नहीं होंगे.
कुछ घंटों बाद, पाक विदेश कार्यालय ने भी हमलों की पुष्टि की और बोला कि उसने अफगानिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों के अंदर खुफिया-आधारित आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया था. इसमें आगे बोला गया कि हाफिज गुल बहादुर समूह से संबंधित आतंकी उसके ऑपरेशन का मुख्य लक्ष्य थे. इसमें बोला गया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाक (टीटीपी) के साथ ये आतंकी पाक के अंदर कई आतंकी हमलों के लिए उत्तरदायी थे, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों नागरिकों और कानून प्रवर्तन ऑफिसरों की मृत्यु हुई.
कुछ घंटों बाद तालिबान ने हमलों की आलोचना की. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने लिखा कि अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात इन हमलों की कड़ी आलोचना करता है और इस लापरवाह कार्रवाई को अफगानिस्तान के क्षेत्र का उल्लंघन बताता है. अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात, जिसके पास दुनिया की महाशक्तियों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम का लंबा अनुभव है, किसी को भी अपने क्षेत्र पर आक्रमण करने की अनुमति नहीं देता है.
टीटीपी और पाकिस्तान
हालाँकि, पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर इस तरह के हमले कोई नयी बात नहीं है. हाल के सालों में, विश्व स्तर पर नामित आतंकी समूह और काबुल में सत्तारूढ़ तालिबान के करीबी सहयोगी माने जाने वाले टीटीपी द्वारा पाकिस्तानी धरती पर हमले बढ़ गए हैं. वास्तव में पाक इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज के अनुसार, 2023 में राष्ट्र में आतंकी अत्याचार में 17 फीसदी की वृद्धि देखी गई और कुल 306 आतंकी हमले हुए, जिनमें 693 लोग मारे गए. रिपोर्ट में आगे बोला गया है कि आतंकियों के बढ़ते हमलों से संकेत मिलता है कि टीटीपी और उसके सहयोगी पाक को वार्ता की प्रक्रिया बहाल करने के लिए ‘मजबूर’ करने के उद्देश्य से तीव्र आतंकवाद हमले का सहारा लेना जारी रखेंगे.