स्वास्थ्य

सर्दियों में क्यों होती है बड़े-बुजुर्गों की ज्यादा मौत…

Why Risk of Death During Winter is Higher: अक्सर सुना जाता है कि सर्दियों में बड़े-बुजुर्गों की मृत्यु अधिक होती है इसके पीछे क्या लॉजिक है और क्या साइंटिफिक रूप से भी सर्दियों में अधिक लोगों की मृत्यु सच में होती है दरअसल, हमारे शरीर का अंदरुनी हिस्सा नियत तापमान पर संतुलित रहता है बाहर बेशक आपको ठंड लगे लेकिन शरीर के अंदर का जरूरी हिस्सा जैसे कि किडनी, लिवर, हार्ट आदि हमेशा एक ही तापमान पर रहता है जब तापमान में कमी आती है तो बाहर बेशक हमें ठंड लगे लेकिन अंदर शरीर का जरूरी हिस्सा स्वयं की नियत तापमान पर ही रखता है ठंड से बचने के लिए शरीर में जरूरी मैकेनिज्म काम करता है शरीर थर्मोजेनेसिस प्रक्रिया के अनुसार जरूरी अंगों के लिए उष्मा का उत्पादन करता है और इससे शरीर के अंदरुनी अंग गर्म रहते हैं

दिल सबसे अधिक जिम्मेदार

फॉर्टिस हॉस्पिटल नयी दिल्ली में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ नित्यानंद त्रिपाठी बताते हैं कि जब तापमान में गिरावट आती है तो शरीर अपने जरूरी अंगों को नियत तापमान पर रखने के लिए आपातकालीन रिस्पॉन्स टीम को एक्टिव कर देता है इसके लिए एड्रीनलीन ग्लैंड से कैटेकोलामाइन (Catecholamines) हार्मोन निकलता है वैसे तापमान कम होने से शरीर के अंदर स्ट्रेस बढ़ जाता है कैटेकोलामाइन इन सर्दी से उत्पन्न तनाव से निपटने में सहायता करता है कैटेकोलामाइन में तीन तरह के हार्मोन होते हैं एक तरफ तो ये हार्मोन शरीर के अंदर उष्मा उत्पादन को बढ़ाते हैं लेकिन दूसरी ओर यदि सर्दी का प्रकोप अधिक है तो यही हार्मोन हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और सांस लेने की रेट को बढ़ा देते हैं इन स्थितियों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है यही कारण है कि सर्दियों में हार्ट अटैक के मुद्दे बढ़ जाते हैं खासकर उन लोगों में जिनमें हार्ट की कैपिसिटी कम है

दिल के अतिरिक्त इन अंगों पर खतरा

साइंस डायरेक्ट जर्नल के अनुसार सर्दियों में उत्पन्न कोल्ड स्ट्रेस के कारण एंडोक्राइन सिस्टम और कार्डियोवैस्कुल सिस्टम पर अनावश्यक दबाव पड़ता है यानी शरीर में खून के प्रवाह और एड्रीनलिन ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन के प्रवाह पर अनावश्यक दबाव पड़ता है इसलिए जहां-जहां सर्दियों का मौसम होता है और उस दौरान अधिक सर्दी पड़ती है तो ऐसी जगहों में मृत्यु का जोखिम कहीं अधिक हो जाता है एपीडेमायोलॉजिक स्टडी में यह भी कहा गया कि सर्दियों के मौसम में इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है जिससे फ्लू को खतरा बढ़ जाता है जिन लोगों में सांस से संबंधित क्षमता कम होती है, उनमें इसी कारण सर्दियों के मौसम में मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है

थायराइड ग्लैंड क्षतिग्रस्त होने लगता

वहीं, रिस्पायरेटरी और सर्कुलेटरी सिस्टम पर भी दबाव पड़ता है इसके साथ ही कोल्ड स्ट्रेस के कारण थायराइड ग्लैंड क्षतिग्रस्त भी होने लगता है इससे पहले के शोध में पाया गया है कि जिन लोगों को अधिक ठंड लगती है यानी क्रोनिक ठंड के कारण थायराइड आयोडीन की खपत बढ़ जाती है और इससे थायराइड हार्मोन बढ़ने लगता है वहीं इस दौरान थायराइड ग्लैंड का फॉलिकल्स फटने लगता है जिससे थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम फेल होने लगता है जब थायराइड ग्लैंड क्षतिग्रस्त होने लगेगा तो इस स्थिति में शरीर के अंदरुनी अंग नियत तापमान पर रह नहीं पाता क्योंकि थायराइड ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन ही शरीर में तापमान को कंट्रोल करता है इसका नतीजा यह होता है कि मृत्यु का जोखिम बढ़ा जाता है

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