स्वास्थ्य

Health Alert: स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया – भारतीयों में बढ़ रही है ‘CAD’ की समस्या

भारतीय जनसंख्या में पिछले कुछ सालों में कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिमों को बढ़ते देखा जा रहा है. स्वास्थ्य जानकार कहते हैं, युवाओं से लेकर वयस्कों तक में जिन रोगों के मुद्दे सबसे अधिक रिपोर्ट किए जा रहे हैं सीएडी की परेशानी उसमें सबसे प्रमुख है.

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) धमनियों में होने वाली परेशानी है जिसे दिल रोगों और हार्ट अटैक का प्रमुख कारक माना जाता रहा है. दिल को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में  प्लाक के निर्माण के कारण रक्त का सामान्य प्रवाह बाधित हो जाता है और इनका अंदरूनी भाग संकीर्ण हो जाता है, इस स्थिति को  एथेरोस्क्लेरोसिस भी बोला जाता है.

अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तानियों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) की रेट अन्य कई राष्ट्रों की तुलना में काफी अधिक है. कुछ जोखिम कारक सीएडी के खतरे को और भी बढ़ा देते हैं, जिनसे सभी उम्र के लोगों को लगातार बचाव के तरीका करते रहने की जरूरत है. स्वास्थ्य जानकारों ने कहा कि जिन लोगों को पहले से डायबिटीज की परेशानी रही है उनमें सीएडी का खतरा और भी अधिक हो सकता है.

कोरोनरी आर्टरी डिजीज के बारे में जानिए

कोरोनरी आर्टरी डिजीज को दिल रोगों का प्रमुख कारक माना जाता है. धमनियों में होने वाली इस परेशानी के कारण दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिल पाता है. दिल में रक्त का प्रवाह कम होने से सीने में दर्द (एनजाइना) और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. रक्त प्रवाह में यदि रुकावट लंबे समय तक बनी रहती है तो इसके कारण हार्ट अटैक का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है.

स्वास्थ्य जानकार कहते हैं, कोरोनरी आर्टरी डिजीज की परेशानी को विकसित होने में कई सालों का समय लग सकता है, इसके लक्षण भी धीरे-धीरे विकसित होते हैं इसलिए ज्यादातर लोगों में इसका आरंभ में निदान नहीं हो पाता है.

डायबिटीज मरीजों में इसका खतरा अधिक

स्वास्थ्य जानकारों ने पाया कि वैसे तो सीएडी का खतरा किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकता है पर डायबिटीज मरीजों में इसके मुद्दे अधिक देखे जाते रहे हैं.

वर्ल्ड जे डायबिटीज जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है कि डायबिटीज मेलिटस वाले लोगों में बिना डायबिटीज वालों की तुलना में कोरोनरी आर्टरी डिजीज और मायोकार्डियल इन्फार्कशन या हार्ट अटैक होने का जोखिम अधिक हो सकता है. इतना ही नहीं  मायोकार्डियल इन्फार्कशन के एक मुद्दे के बाद मधुमेह मरीजों में एक साल के भीतर मृत्युदर भी लगभग 50% देखी जाती रही है.

कैसे जानें कहीं आपको भी तो नहीं है सीएडी की समस्या?

स्वास्थ्य जानकार कहते हैं, सीएडी के लक्षण आरंभ में बहुत साफ नहीं होते हैं, यही कारण है कि समय पर इन समस्याओं का निदान नहीं हो पाता है. कुछ लोगों को व्यायाम के दौरान दिल के धड़कन में तेजी बने रहने या अक्सर छाती में दर्द की परेशानी हो सकती है. हालांकि धमनियों का परेशानी बढ़ने के साथ इसके लक्षण अधिक साफ होने लग जाते हैं.

एनजाइना की परेशानी इसका प्रमुख संकेत मानी जाती है, इसमें अक्सर छाती में दर्द होता रहता है और कुछ समय में इसके लक्षण ठीक भी हो जाते हैं. कुछ लोगों में सांस लेने में समस्या, थकान-कमजोरी भी देखी जाती रही है.

इन जोखिम कारकों के बारे में भी जानिए

हृदय रोगों की परेशानी और सीएडी की परेशानी किसी को भी हो सकती है, हालांकि कुछ प्रकार की आदतों को इसका प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है. स्वास्थ्य जानकारों ने बताया, उम्र बढ़ने के साथ धमनियां क्षतिग्रस्त और संकुचित होने लग जाती हैं जो सीएडी का प्रमुख कारक हो सकती है. इसके अतिरिक्त आमतौर पर मर्दों को कोरोनरी आर्टरी रोग का खतरा अधिक होता है, हालांकि रजोनिवृत्ति के बाद स्त्रियों में भी जोखिम बढ़ जाता है.

जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी की धमनियों की परेशानी रही है, धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं तो ये स्थितियां भी आपके जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं.

 

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