स्वास्थ्य

तनाव, चिंता और मूड स्विंग को एक समझने की न करें भूल, जानें इन तीनों के बारे में…

मानसिक स्वास्थ्य आज एक बड़ी परेशानी बनती जा रही है. अक्सर लोग इसके बारे में बात करते या इससे जूझते नजर आते हैं. लेकिन कई लोग मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बातों को समझ नहीं पाते हैं. यही कारण है कि लोग इससे पूरी तरह ठीक नहीं हो पाते या फिर उन्हें इससे उबरने में काफी समय लग जाता है. जैसे कि आज बहुत से लोग ऐसे हैं जो तनाव, मूड स्विंग और चिंता के बीच अंतर नहीं जानते हैं. तीनों एक जैसे दिखते हैं लेकिन हैं नहीं ये काफी अलग हैं आइए जानते हैं इन तीनों के बारे में…

तनाव और चिंता एक जैसे नहीं हैं लेकिन

अक्सर लोग तनाव और चिंता के बीच अंतर भी नहीं पहचान पाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं. उदाहरण के लिए, अचानक तेज़ दिल की धड़कन, सांस लेने में कठिनाई या सांस लेने में कठिनाई या दस्त, कब्ज जैसी समस्याएं. दोनों में थोड़ा सा अंतर जरूर है

तनाव और चिंता के बीच अंतर

तनाव वास्तव में अल्पकालिक हो सकता है. यह आमतौर पर हमारे इर्द-गिर्द की चीज़ों से प्रारम्भ होता है. जैसे, ऑफिस में काम का बोझ बहुत अधिक होना, किसी करीबी से झगड़ा होना या लंबे समय से चली आ रही रोग से परेशान रहना. तनाव के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे गुस्सा आना, अकेलापन, चिड़चिड़ापन, मतली या चक्कर आना. कई मामलों में, जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, वैसे-वैसे अवसाद भी बढ़ता है. इसलिए, ठीक समय पर तनाव का प्रबंधन करना बहुत जरूरी है.

चिंता

इसे दीर्घकालिक चिंता भी बोला जा सकता है. चिंता से पीड़ित आदमी को बेचैनी, बिना वजह डर लगना, पसीना आना, दस्त या कब्ज, अनिद्रा, घबराहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यह पता लगाना थोड़ा कठिन है कि इसका कारण क्या है क्योंकि ऐसा लगता है कि कुछ भी इसे ट्रिगर नहीं कर रहा है.

मूड स्विंग

मूड स्विंग की परेशानी असल में तनाव और चिंता से काफी अलग है. मूड स्विंग किसी आदमी की भावनात्मक स्थिति में अचानक परिवर्तन है. मूड में परिवर्तन के दौरान, कोई आदमी बिना किसी कारण के बहुत खुश या उत्साहित महसूस कर सकता है और फिर तुरंत उदास, चिड़चिड़ा या गुस्सा भी महसूस कर सकता है. मूड स्विंग डिसऑर्डर में आदमी की भावनाएं बहुत तेजी से बदलती हैं और कभी-कभी वह स्वयं को भी समझ नहीं पाता है. हमारी जीवनशैली मूड में परिवर्तन का एक प्रमुख कारण हो सकती है. उदाहरण के लिए, घर या जॉब बदलना, पर्याप्त नींद न लेना, स्वस्थ भोजन न करना आदि. इसके अलावा, ऐसा तब भी होता है जब मानव शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं.

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