स्वास्थ्य

प्रेग्नेंसी में भूलकर भी न करें इस विटामिन की कमी को नजर अंदाज, वरना हो सकती है बड़ी दिक्कत

डिलीवरी के समय मां और शिशु का हेल्दी होना महत्वपूर्ण है यदि प्रेग्नेंसी के दौरान स्त्रियों में विटामिन डी की कमी हो जाती है तो इससे जच्चा और बच्चा दोनों को बहुत हानि पहुंचा सकता है हम सब जानते हैं कि विटामिन डी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है विटामिन डी एक तरह से केवल विटामिन भर नहीं है बल्कि यह हार्मोन का भी काम करता है विटामिन डी हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण कैल्शियम और फॉस्फोरस को अवशोषित करता है पेट में पल रहे बच्चों के लिए विटामिन डी इस लिहाज से और भी अधिक महत्वपूर्ण है विटामिन डी शरीर में इंफ्लामेशन को कम करता है इंफ्लामेशन के कारण कई तरह की क्रोनिक बीमारियां होती हैं यदि प्रेग्नेंट स्त्रियों को इंफ्लामेशन होगा तो उन्हें कई रोंगों होने लगेगी जो बच्चे को भी हानि पहुंचा सकता है

प्रेग्नेंसी में विटामिन डी क्यों है जरूरी

कैल्शियम की आवश्यकता प्रेग्नेंट स्त्रियों को अधिक होती है क्योंकि उसके पेट में पल रहे बच्चों में हड्डियों का विकास होना महत्वपूर्ण है विटामिन डी मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है रिसर्च के अनुसार प्रेग्नेंसी के छढे महीने बाद विटामिन डी की प्रेग्नेंट महिलाओँ में बहुत अधिक आवश्यकता पड़ती है क्योंकि इस समय बच्चों की हड्डियों के विकास और अन्य तरह के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए विटामिन डी और कैल्शियम का काम बढ़ जाता है डिलीवरी के बाद भी मां को कैल्शियम की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि इस समय मां ब्रेस्टफीडिंग कराती है ऐसे में यदि स्त्रियों में विटामिन डी की कमी हो तो बच्चे को दूध कम मिल पाता है

प्रेग्नेंसी में विटामिन डी की कमी से नुकसान

रिसर्च के अनुसार यदि प्रेग्नेंसी में विटामिन डी की कमी हो जाए तो स्त्री में प्रीक्लेंप्सिया (preeclampsia) रोग हो सकती है प्रीक्लेंप्सिया प्रेग्नेंट स्त्रियों में 5 महीनों के बाद होता है इसमें प्रेग्नेंट स्त्री में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है इससे कैल्शियम के अवशोषण में भी परेशानी होने लगती है इस कारण स्त्रियों में बोन की क्षति होने लगती है और वजन भी बढ़ने लगता है इस समय विटामिन डी की कमी से मांसपेशियां कमजोर होने लगती है इससे पेट में बच्चों पर बुरा असर होता है यहां तक कि पेट में पल रहे बच्चे का भी बीपी बढ़ सकता है इससे हार्ट फेल्योर का खतरा भी हो सकता है यदि बच्चा पैदा लिया तो उसमें रिकेटस की रोग हो सकती है यानी हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी होंगी और दांतों का विकास नहीं होगा वहीं बोन डेंसिटी बहुत कम होगी यानी विटामिन डी की कमी से प्रेग्नेंट स्त्रियों के साथ-साथ पेट में पल रहे बच्चे को भी काफी हानि होगा

विटामिन डी की कमी कैसे पूरा करें

विटामिन डी को सबसे अधिक सूरज की रोशनी से प्राप्त किया जा सकता है इसके लिए सूर्य की रोशनी में रहें हालांकि सीमित समय तक ही सूरज की रोशनी में रहें वहीं कुछ फूड से भी विटामिन डी को प्राप्त किया जा सकता है टूना, सेलमन, सार्डिन जैसी अधिक ऑयल वाली मछलियों से विटामिन डी मिलता है वहीं अंडे में भी विटामिन डी होता है इसके अतिरिक्त यदि आप बेजिटेरियन हैं तो बादाम, सूरजमुखी के बीज, अलसी के बीज, संतरा, सोया आदि से विटामिन डी को प्राप्त कर सकते हैं

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