स्किन कैंसर के लिए दुनिया की पहली वैक्सीन का अंतिम ट्रायल शुरू
इस टीके की खास बात यह है कि यह हर रोगी के लिए अलग से बनाया जाता है। यह टीका शरीर को कैंसर सेल्स की पहचान करने और उनसे लड़ने का संदेश देता है। साथ ही, यह भविष्य में कैंसर के वापस आने के खतरे को भी कम करता है। हाल ही में किए गए दूसरे स्टेज के टेस्ट में पाया गया कि यह टीका मेलेनोमा मरीजों में कैंसर के वापस आने के खतरे को काफी कम कर देता है। इन अच्छे परिणामों के बाद अब इस टीके का आखिरी टेस्ट प्रारम्भ किया गया है।
एक्सपर्ट की राय
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन हॉस्पिटल्स NHS फाउंडेशन ट्रस्ट (UCLH) इस टेस्ट का नेतृत्व कर रहा है। ट्रायल की सह-इन्वेस्टिगेटर डाक्टर हेदर शॉ ने बोला कि यह बहुत लंबे समय में देखी गई सबसे रोमांचक चीजों में से एक है। उन्होंने आगे बोला कि यह वास्तव में एक बहुत ही बेहतरीन उपकरण है। अपने रोगियों से यह कह पाना कि आप उन्हें कुछ ऐसा दे रहे हैं जो कारगर रूप से आम कैंसर के उपचार से कहीं अधिक बेहतर है। यह उसी लेवल की विशेषज्ञता है जो उन्हें मिल रही है। ये टीके बहुत तकनीकी और हर रोगी के लिए उनकी स्थिति के मुताबिक तैयार किए गए हैं। रोगी इसके बारे में वास्तव में उत्साहित हैं।
भविष्य की उम्मीद
यदि आखिरी स्टेज वाला टेस्ट भी सफल रहता है, तो यह टीका स्किन कैंसर के उपचार में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। साथ ही, यह पर्सनल रूप से निर्मित टीकों के क्षेत्र में भी एक नयी आरंभ कर सकता है। आने वाले समय में इस तकनीक का इस्तेमाल अन्य प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए भी किया जा सकता है।