स्वास्थ्य

रोज मोर्निंग में कॉफी पीने से इस रोग का खतरा 37 प्रतिशत होगा कम

अध्ययन के नतीजों में पाया गया कि जो लोग सबसे अधिक कॉफी (Morning coffee) पीते हैं उनमें पार्किंसन बीमारी (Parkinson’s disease) होने का खतरा 37 फीसदी कम हो जाता है, जबकि जो लोग कॉफी (Coffee) नहीं पीते हैं उनकी तुलना में.

नीदरलैंड्स के यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कह, यह शोध दर्शाता है कि कॉफी (Coffee)का पार्किंसन बीमारी (Parkinson’s disease) पर न्यूरोप्रोटेक्टिव असर कैफीन और उसके मेटाबोलाइट्स के कारण होता है, जैसा कि बीमारी का निदान होने से कई वर्ष पहले प्लाज्मा कैफीन और उसके मेटाबोलाइट्स की विस्तृत मात्रा निर्धारण द्वारा सिद्ध किया गया है.

कॉफी पीने से न्यूरोडिजेनरेटिव रोग का खतरा 43 फीसदी कम

इसके अलावा, कैफीनयुक्त कॉफी (Coffee) पीने से न्यूरोडिजेनरेटिव रोग का खतरा 43 फीसदी कम हो गया. टीम को हालांकि, डिकैफ़िनेटेड कॉफी (Ccoffee) के साथ कोई संबंध नहीं मिला.

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार ने लिखा, “कॉफी प्रेमियों के लिए अच्छी समाचार है. दीर्घकालिक रूप से कैफीनयुक्त कॉफी का सेवन करने से पार्किंसन बीमारी (Parkinson’s disease) का खतरा कम हो सकता है.

उन्होंने बताया, “कैफीन और उसके मेटाबोलाइट्स जैसे थियोफिलाइन और पैराज़ैंथिन के कारण न्यूरोप्रोटेक्टिव असर पार्किंसन बीमारी (Parkinson’s disease) के कम जोखिम से जुड़ा था.” 
चाय पीने वालों में भी पार्किंसन बीमारी का जोखिम कम

अध्ययन में यह भी पाया गया कि जो लोग चाय पीते थे उनमें भी पार्किंसन बीमारी (Parkinson’s disease) का थोड़ा कम जोखिम देखा गया, हालांकि कॉफी (Coffee) पीने वालों की तुलना में यह कम था. शोधकर्ताओं का बोलना है कि शोध के निष्कर्षों को भविष्य के शोधों में और मजबूत करने की जरूरत है.

कॉफी के संभावित न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव शोध में शामिल शोधकर्ताओं ने कहा कि कॉफी (Coffee) में उपस्थित कैफीन और उसके मेटाबोलाइट्स पार्किंसन बीमारी के विकास को रोकने में जरूरी किरदार निभाते हैं. कैफीन एक एडेनोसिन रिसेप्टर विरोधी के रूप में कार्य करता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं में एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है. एडेनोसिन तंत्रिका गतिविधि को कम करता है, जबकि कैफीन इसे रोकता है, जिससे सतर्कता और सतर्कता बढ़ जाती है.

अध्ययन के अनुसार, कैफीन मस्तिष्क में अल्फा-सिन्यूक्लिन नामक प्रोटीन के टुकड़े टुकड़े होने को भी रोक सकता है. अल्फा-सिन्यूक्लिन का असामान्य रूप से जमा होना पार्किंसन बीमारी की खासियत है.

अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों से सिर्फ़ उनके आहार के बारे में पूछा गया था, वास्तव में उन्होंने कितनी कॉफी पी थी, इसका कोई मात्रा निर्धारण नहीं किया गया था. साथ ही, यह एक अवलोकन संबंधी शोध था, इसलिए यह साबित नहीं करता है कि कॉफी पीने से सीधे पार्किंसन बीमारी का खतरा कम होता है.

अधिक अध्ययन की जरूरत है, संभवतः यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षणों के रूप में, यह निर्धारित करने के लिए कि क्या कॉफी वास्तव में पार्किंसन बीमारी को रोकने में सहायता कर सकती है.

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