स्वास्थ्य

बच्चे को पाउडर वाला दूध पिलाने से होतें है ये नुकसान

नवजात या शिशु के लिए मां का दूध सबसे बेस्ट होता है लेकिन व्यस्त जीवनशैली या दूसरी वजहों के चलते माता-पिता बच्चे को फॉर्मूला मिल्क यानी पाउडर वाला दूध पिलाने लगते हैं हालांकि यह सुविधाजनक लग सकता है, लेकिन फॉर्मूला मिल्क के सेवन से जुड़ी संभावित कमियों को पहचानना जरूरी है. फॉर्मूला मिल्क के संबंध में हालिया अपडेट ने शिशुओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने के महत्व पर प्रकाश डाला है.

सरकार ने फॉर्मूला मिल्क उत्पादन और वितरण को लेकर कठोर नियम जारी किए हैं. इन दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहने वाली कंपनियों को गंभीर रिज़ल्ट भुगतने होंगे. सूत्रों के अनुसार, फॉर्मूला मिल्क में लैक्टोज और ग्लूकोज जैसे जरूरी कार्बोहाइड्रेट की उपस्थिति जरूरी है, जबकि फ्रुक्टोज अनुपस्थित होना चाहिए. साथ ही कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 20 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए. विशेष रूप से, इन अद्यतन नियमों का अनुपालन न करने की रिपोर्टों के बाद नेस्ले इण्डिया के उत्पाद जांच के दायरे में आ गए हैं.

पोषण जानकार इस बात पर बल देते हैं कि फॉर्मूला मिल्क द्वारा दी जाने वाली सुविधा के बावजूद, स्तन का दूध शिशुओं के लिए सबसे अच्छा विकल्प है. फॉर्मूला मिल्क के सेवन को स्वच्छता संबंधी मुद्दों से जोड़ा गया है, जिससे शिशुओं में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, फॉर्मूला मिल्क तैयार करते और देते समय माता-पिता अक्सर गलतियाँ करते हैं, जैसे बोतलों की अपर्याप्त सफाई और तैयार दूध का अनुचित भंडारण.

विशेषज्ञ अपने बच्चों को फॉर्मूला मिल्क देते समय माता-पिता द्वारा की जाने वाली सामान्य गलतियों के प्रति आगाह करते हैं. दूध तैयार करने से पहले हाथ न धोने से प्रदूषण और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए दूध पिलाने की बोतलों की मुनासिब सफाई जरूरी है. बचे हुए दूध को दोबारा गर्म करने से शिशुओं में पाचन संबंधी समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं. फॉर्मूला मिल्क तैयार करने के लिए ताजे उबले पानी का इस्तेमाल करना जरूरी है और माइक्रोवेव में दोबारा गर्म करने से बचें, क्योंकि इससे असमान ताप हो सकता है और पोषण सामग्री में समझौता हो सकता है.

 

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