स्वास्थ्य

पिग की किडनी का प्रत्यारोपण सकारात्मक परिणाम चिकित्सा जगत में मिली बड़ी उपलब्धि

First Successful Pig-to-Human Kidney Transplant Discharged :

एक अनोखे मेडिकल मुद्दे में, पहली बार किसी आदमी में आनुवंशिक रूप से बदली हुई पिग की किडनी (Pig kidney) सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित की गई. यह ऑपरेशन बहुत अच्छा रहा और रोगी की तबीयत इतनी बेहतर हो गई कि हॉस्पिटल ने उन्हें ऑपरेशन के कुछ ही हफ्तों बाद, बुधवार (3 अप्रैल) को छुट्टी दे दी.

पिग की किडनी (Pig kidney) का यह प्रत्यारोपण और उसका सकारात्मक रिज़ल्ट चिकित्सा जगत में एक बड़ी उपलब्धि है. इससे भविष्य में जानवरों के अंगों को इंसानों में प्रत्यारोपित करने का दौर प्रारम्भ हो सकता है.

डॉक्टरों ने पहले भी दो बार इस तरह के अंग प्रत्यारोपण किए थे, जिनमें आनुवंशिक रूप से बदले हुए सुअरों के अंग इंसानों को लगाए गए थे. हालांकि, वे दोनों मुद्दे असफल रहे थे. उन मामलों में सुअरों के दिलों को इंसानों में प्रत्यारोपण किया गया था, लेकिन दोनों रोगी बच नहीं पाए.

पिछले दो रोगियों को पिग का दिल लगाया गया था और प्रत्यारोपण के कुछ हफ्तों बाद ही उनकी मौत हो गई. एक रोगी में यह संकेत मिले थे कि शरीर की बीमारी प्रतिरोधक क्षमता ने उस अंग को अस्वीकार कर दिया था.

पिग की किडनी प्रत्यारोपण में कामयाबी Pig kidney transplant successful

मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के डॉक्टरों के अनुसार, 62 वर्षीय रिचर्ड स्लेमन को लगाई गई पिग की किडनी (Pig kidney) अच्छी तरह से काम कर रही है. यह खून से कचरा निकाल रही है, पेशाब बना रही है और शरीर के तरल पदार्थों को संतुलित कर रही है.

अस्पताल द्वारा जारी एक बयान में स्लेमन ने कहा, “यह वह पल है जिसका मैं कई वर्षों से प्रतीक्षा कर रहा था. आज हॉस्पिटल से छुट्टी मिलते हुए, मेरे स्वास्थ्य की जांच रिपोर्ट इतनी अच्छी है कि इसे वर्षों में मैंने कभी नहीं देखा. अब यह सच हो गया है.

उन्होंने बोला कि उन्हें “असाधारण देखभाल” मिली है और उन्होंने अपनी नर्सों, डॉक्टरों और शुभचिंतकों को भी धन्यवाद दिया.

स्लेमन ने कहा, “आज न सिर्फ़ मेरे लिए बल्कि उनके लिए भी एक नयी आरंभ है.

संयुक्त देश अंगदान साझाकरण नेटवर्क के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर डेविड क्लासेन, जो राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण प्रणाली का प्रबंधन कर रहे हैं, ने बोला कि इस सर्जरी से जानवरों से इंसानों में अंग प्रत्यारोपण (ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन) की आसार बढ़ गई है.

डॉ क्लासेन ने कहा, “हालांकि अभी बहुत काम बाकी है, मुझे लगता है कि इससे बड़ी संख्या में रोगियों को लाभ होगा. यह इस क्षेत्र में एक बड़ा प्रश्न था.

हालांकि, डाक्टर क्लासेन ने यह भी बोला कि अभी भी यह शक बना हुआ है कि स्लेमन का शरीर आखिरकार प्रत्यारोपित अंग को अस्वीकार कर देगा या नहीं.

उन्होंने कहा कि यदि इस तरह के प्रत्यारोपण को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना है तो डॉक्टरों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. जैसे कि आनुवंशिक रूप से बदले हुए जानवरों से पर्याप्त अंगों की आपूर्ति सुनिश्चित करना.

Related Articles

Back to top button