किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं यह पौधा, इन रोगों के लिए है रामबाण…
इस धरती पर कई ऐसे पेड़-पौधे हैं, जिनका बड़ा औषधीय महत्व है। यह शरीर से रोग को दूर करने में औषधि का काम करते हैं। इनमें से एक ऐसी ही औषधि है शालीपर्णी। इसका आयुर्वेद में स्वयं चरक ने वर्णन किया है। शालीपर्णी किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। यह औषधि दिल मरीजों के लिए वरदान मानी जाती है। यह एक नहीं बल्कि अनेक रोंगों को शरीर से छूमंतर कर देती है। शालपर्णी बवासीर, कब्ज, दिल रोग, जोड़ों के दर्द और चर्म बीमारी जैसी अनेक रोंगों में बहुत उपयोगी और लाभ वाला है।
राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल नगर बलिया की चिकित्सा अधिकारी चिकित्सक प्रियंका सिंह ने कहा कि शालपर्णी का आयुर्वेद में वर्णन स्वयं चरक ने किया है। आयुर्वेद के मुताबिक यह औषधि बहुत जरूरी और गुणकारी है। यह बवासीर, कब्ज, दिल रोग, जोड़ों के दर्द और चर्म बीमारी जैसी अनेक समस्याओं में उपयोगी है।
शालपर्णी का आयुर्वेद में वर्णन
डॉक्टर प्रियंका सिंह ने आगे बोला कि शालपर्णी का आयुर्वेद में बहुत सारी रोंगों में वर्णन आया है। सबसे खास फोकस इसका आयुर्वेद में चरक ने दिल बीमारी के लिए किया है। चरक ने बोला है कि यदि किसी को दिल बीमारी है। शालपर्णी का पाउडर बना लें। दूध के साथ मिलाकर उसका सेवन करें।
इन रोंगों में भी बहुत लाभकारी
इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल और शुगर में भी यह उपयोगी है। यदि किसी को जोड़़ों में दर्द होने की परेशानी है तो उसे शालपर्णी के चूर्ण को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। यदि किसी को डैंड्रफ की परेशानी है तो इसके जड़ को पाउडर बनाकर दही में मिलाकर पेस्ट बनाकर लगाना चाहिए। यदि किसी को चर्म से संबंधित परेशानी है तो उसमें भी शालपर्णी बहुत उपयोगी है। यह कब्ज और बवासीर में उत्पन्न अनेक समस्याओं में उपयोगी है।
चिकित्सक से राय जरूरी
हर जड़ी बूटी के फायदा हैं तो उसके हानि भी होते हैं। इसलिए बिना आयुर्वेदिक डॉक्टर से राय लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए। खासतौर से स्त्रियों और जो शुगर और हार्ट के रोगी हैं, जिनकी कोई पुरानी दवा चल रही हो, वह आयुर्वेदि डॉक्टर से राय लेकर तभी इसका प्रयोग करें।