नकली नही सत्य घटनाओं से प्रेरित है हॉलीवुड की इन हॉरर फिल्मों की कहानी
हॉरर फिल्मों का जिक्र आते ही कई लोगों के शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। इसके विपरीत, कई लोग ऐसे भी हैं जो डरावनी फिल्में देखना पसंद करते हैं। अब यदि कोई हॉरर फिल्म किसी सच्ची कहानी या प्राचीन काल में घटी किसी घटना से प्रेरित हो तो कई लोग उसे और भी अधिक मजे से देखते हैं। ऐसे में हम आपको दुनिया की कुछ ऐसी डरावनी और भुतहा फिल्मों के बारे में बता रहे हैं, जो किसी सच्ची घटना पर आधारित थीं।
1977 में रिलीज हुई वेस क्रेवेन की ‘द हिल्स हैव आइज़’ उस समय की डरावनी फिल्मों में से एक थी। खास बात यह है कि यह फिल्म 15वीं शताब्दी में सवेनी बीन कबीले में प्रचलित एक किंवदंती पर आधारित थी।
1973 में विलियम फ्रीडकिन द्वारा निर्देशित हॉलीवुड फिल्म ‘द एक्सोरसिस्ट’ अपने समय की सबसे डरावनी फिल्मों में गिनी जाती है। यह फिल्म विलियम पीटर ब्लैटी द्वारा प्रकाशित इसी नाम के उपन्यास पर आधारित थी। यह फिल्म एक ऐसे शख्स पर आधारित है जिसके अंदर एक आत्मा चली जाती है और फिर एक पुजारी उसे बाहर निकालने की प्रयास करता है।
साल 2007 में आई ‘पैरानॉर्मल एक्टिविटी’ की काफी चर्चा हुई थी। इस फिल्म का निर्देशन ओरेन पेली ने किया था। यह फिल्म एक ऐसे जोड़े के बारे में थी जिन्हें अपने घर में कुछ अलौकिक गतिविधियां होने का एहसास होता है। बाद में दोनों ने निर्णय किया कि वे इन घटनाओं को अपने कैमरे में कैद करेंगे।
2011 में रिलीज हुई ‘साइलेंट हाउस’ भी बहुत डरावनी फिल्म है। इस फिल्म से अदाकारा एलिजाबेथ ओल्सन ने डेब्यू किया था। यह फिल्म एक ऐसी स्त्री की कहानी दर्शाती है जो अलौकिक शक्तियों से संघर्ष करती है। खास बात ये है कि ये कहानी उरुग्वे में घटी एक घटना पर आधारित थी।
1999 में रिलीज हुई हॉलीवुड हॉरर फिल्म ‘द ब्लेयर विच प्रोजेक्ट’ सच्ची घटना पर आधारित थी। इस फिल्म में तीन युवा फिल्म निर्माताओं की कहानी दिखाई गई थी, जो काली पहाड़ी में छुपते हैं लेकिन फिर गायब हो जाते हैं। बाद में इन लड़कों के कुछ वीडियो और साउंड उपकरण वहां मिलते हैं, जिसके आधार पर पुलिस उनकी जांच करती है। करीब एक वर्ष बाद वहां से इन लड़कों की फुटेज बरामद हुई है।