दारा सिंह के निधन के बाद परिवार की इस हरकत को देख भौचक्के रह गए थे अमिताभ बच्चन
रुस्तम-ए-पंजाब के नाम से प्रसिद्ध अदाकार दारा सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। दारा सिंह ने 500 से अधिक पहलवानों को हराया और खास बात यह है कि दारा सिंह ने ज्यादातर पहलवानों को उनके ही घर में हराया और उन्हें रुस्तम-ए-हिंद की उपाधि से नवाजा गया। इसके साथ ही वह रामायण में हनुमान का भूमिका निभाकर भी प्रसिद्ध हुए थे। दारा सिंह एक ऐसे अदाकार थे जिन्होंने टीवी से लेकर फिल्मों तक जबरदस्त काम किया है और 2012 में उनका मृत्यु हो गया और इसके बाद कई सितारे परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करने उनके घर पहुंचे। हालांकि इस दौरान अमिताभ बच्चन ने जो देखा उससे वह दंग रह गए और अब विंदू दारा सिंह ने एक साक्षात्कार में इस बात का खुलासा किया है कि अमिताभ कुछ देर के लिए क्यों दंग रह गए।
हिंदी सिनेमा के कद्दावर अदाकार दारा सिंह ने जब 83 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा बोला तो हर कोई दुखी था, क्योंकि दारा सिंह एक ऐसे शख्स थे, जिन्हें बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर कोई प्यार करता था। दारा सिंह ने टीवी से फिल्मों तक का यात्रा तय किया था, इसलिए उनके चाहने वालों की कभी कमी नहीं रही। ऐसे में जब दारा सिंह की मृत्यु हुई तो बिग बी स्वयं उनके परिवार से मिलने उनके घर आए, लेकिन जब वे वहां गए तो पार्टी का माहौल था और सभी परिवार बैठकर शैंपेन पी रहे थे, जिसे देखकर बिग बी को बड़ा झटका जैसा महसूस हुआ।
जी हाँ, ये सच है कि दारा सिंह की मृत्यु के बाद परिवार ने ऐसा किया था और अब इस बारे में बात करते हुए दारा सिंह के बेटे विंदू दारा सिंह ने सिद्धार्थ कानन को कहा है कि पूरी कहानी क्या थी। दरअसल, जब सिद्धार्थ कानन ने विंदू दारा सिंह से उनके पिता की मृत्यु से जुड़ी बातों के बारे में पूछा तो उत्तर में विंदू दारा सिंह ने अमिताभ बच्चन से जुड़ी ये बात शेयर की और बोला कि ‘पापा कहते थे कि आदमी को हर पल खुशी से जीना चाहिए। हमें मौत से नहीं डरना चाहिए क्योंकि वह एक दिन आनी ही है। किसी आदमी की मौत पर शोक नहीं मनाना चाहिए बल्कि आनंद लेना चाहिए क्योंकि यही एकमात्र सत्य है।
सिद्धार्थ कन्नन से वार्ता में विंदू ने कहा कि मेरे पिता ने बोला था, ‘जब मैं मर जाऊं तो मेरी जीवन का उत्सव मनाना, रोना मत।‘ ऐसे में जब परिवार में मातम छाया तो बहन-बहनोई समेत परिवार के कई सदस्य उपस्थित थे। ऐसे में जब हमने सोचा कि ‘हमारे पिता ने बोला है कि मेरी जीवन का उत्सव मनाओ’। ऐसे में हमने सभी को अलविदा बोला और शैंपेन पीने लगे और, हमने पार्टी प्रारम्भ की और ‘टू डैड, टू डैड’ बोलना प्रारम्भ ही किया था, तभी घंटी बजी और विंदू यह देखकर चौंक गए कि अमिताभ बच्चन खड़े थे। दरवाज़ा। सफ़ेद पोशाक पहने अमिताभ बच्चन थे, जो पूरे दिन शूटिंग के कारण रात में आए थे।