मनोरंजन

आज परवीन बाबी की बर्थ एनिवर्सरी पर पढ़िए इनकी कहानी

एक जमाने की सबसे खूबसूरत और बोल्ड अदाकारा परवीन बाबी की आज 70वीं बर्थ एनिवर्सरी है. दीवार (1975), अमर अकबर एंथोनी (1977), द बर्निंग ट्रेन (1980), शान (1980), कालिया (1981), नमक हलाल (1982) जैसी दर्जनों सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा रहीं परवीन की निजी जीवन बहुत भयावह थी.

परवीन करियर के पीक पर थीं, जब उन्हें पैरानॉइड सिजोफ्रेनिया नाम की लाइलाज रोग हो गई थी. उन्होंने अपनी रोग दुनिया से राज रखना चाही, लेकिन समय के साथ उनके बदलते-बिगड़ते रवैये ने सब कुछ बर्बाद कर दिया.

कभी परवीन बाबी कहती थीं कि अमिताभ बच्चन ने उन्हें किडनैप कर उनके गले में चिप लगा दी है, तो कभी वे पूर्व अमेरिकी प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन और प्रिंस चार्ल्स जैसी इंटरनेशनल शख़्सियतों पर मर्डर की षड्यंत्र रचने का इल्जाम लगाती थीं. परवीन बाबी को न्यूयॉर्क के पागलखाने में भी रखा गया था.

बीमारी के चलते परवीन इंडस्ट्री से दूर हो गईं और अकेलेपन में समय गुजारने लगीं. जब 2005 में फ्लैट में उनकी 3 दिनों से सड़ती हुई मृत-शरीर मिली तो मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में खलबली मच गया.

 

4 अप्रैल 1954

आज से ठीक 70 वर्ष पहले वली मोहम्मद खान के घर जूनागढ़ में बेटी परवीन बाबी का जन्म हुआ था. उनका परिवार जूनागढ़ के नवाबों के खानदान से ताल्लुक रखता था. परवीन बाबी का जन्म उनके पेरेंट्स की विवाह के 14 वर्ष बाद हुआ था, यही वजह रही कि उन्हें बचपन से ही नाजों से पाला गया था.

परवीन महज 5 वर्ष की थीं, जब उनके पिता वली मोहम्मद का मृत्यु हो गया, ऐसे में उनकी मां जमाल बख्ते बाबी ने अहमदाबाद में अकेले रहते हुए उनकी परवरिश की. माउंट कार्मल हाई विद्यालय से पढ़ाई करने के बाद परवीन ने सेंट जेवियर कॉलेज से इंग्लिश लिट्रेचर की डिग्री हासिल की.

परवीन बाबी कम उम्र से ही बहुत बोल्ड थीं. मॉडर्न कपड़े पहनकर खुलेआम सिगरेट पीने वालीं परवीन अक्सर लोगों का ध्यान खींच लिया करती थीं. यही वजह रही कि महज 18 वर्ष की उम्र में परवीन को बड़े-बड़े मॉडलिंग प्रोजेक्ट मिलने लगे.

सिगरेट पीने का अंदाज देखकर बीआरइशारा ने दी थी फिल्म

एक दिन उस दौर के पॉपुलर फिल्ममेकर बीआरइशारा अहमदाबाद में एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. परवीन भी शूटिंग देखने पहुंची थीं. जब शूटिंग ब्रेक हुआ तो मिनी स्कर्ट पहनकर पहुंचीं परवीन सेट से बाहर खड़ी होकर सिगरेट पीने लगीं. इसी बीच उन पर बीआर इशारा की नजर पड़ी. उन्होंने तुरंत अपने फोटोग्राफर से कहा, जाओ उस लड़की की इजाजत लेकर उसकी कुछ फोटोज़ क्लिक कर लाओ.

फोटोग्राफर गया और परवीन ने फोटोज़ खींचने की इजाजत दे दी. बीआर इशारा को वो फोटोज़ इतनी पसंद आईं कि उन्होंने तुरंत परवीन को बुलाकर पूछा- मेरी फिल्म में काम करोगी?

जवाब सुनकर बीआर इशारा दंग रह गए कि कैसे एक यंग लड़की में इतना कॉन्फिडेंस हो सकता है. उन्होंने तुरंत परवीन को अपनी आने वाली फिल्म चरित्र की कहानी सुनाई, जो परवीन को पसंद आ गई. इस तरह परवीन को उनके करियर की पहली फिल्म चरित्र मिल गई. ये किस्सा बीआर इशारा ने वाइल्ड फिल्म्स इण्डिया को दिए साक्षात्कार में सुनाया था.

पहली फिल्म हो गई थी फ्लॉप, फिर दीवार ने दिलाया स्टारडम

परवीन की पहली फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही, लेकिन उनकी खूबसूरती और एक्टिंग से इम्प्रेस होकर कई फिल्ममेकर उन्हें फिल्में ऑफर करने लगे. 1974 में रिलीज हुई फिल्म विवश परवीन की दूसरी फिल्म थी, जिससे वो देशभर में पहचानी जानी लगीं. आगे उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्म दीवार में बार डांसर का रोल प्ले कर स्वयं को इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेसेस में शामिल कर लिया.

कबीर बेदी और डेनी डेन्जोंगपा से रहा अफेयर

परवीन बाबी का इंडस्ट्री में पहला अफेयर डैनी डेन्जोंगपा से रहा. दोनों का रिश्ता करीब 4 वर्ष तक चला. परवीन कबीर बेदी के साथ भी रिलेशन में रहीं, लेकिन ये रिश्ता अधिक दिनों तक नहीं चला. कबीर बेदी से ब्रेकअप के बाद 1977 में महेश भट्ट उनका सहारा बने. महेश पहले से शादीशुदा थे, हालांकि इसका उनके संबंध पर कोई असर नहीं पड़ा.

पैरानॉइड सिजोफ्रेनिया नाम की लाइलाज रोग हुई, हर किसी पर करती थीं शक

परवीन बाबी अपने करियर के पीक पर थीं, जब मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में खबरें फैलने लगीं कि वो पैरानॉइड सिजोफ्रेनिया नाम की गंभीर लाइलाज रोग से जूझ रही हैं. कई बार परवीन बाबी से उनकी रोग पर बात की गई, लेकिन हर बार उन्होंने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि इंडस्ट्री के लोग उनके विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे हैं और उनकी छवि खराब करना चाहते हैं.

परवीन बाबी ने कभी कबूल नहीं किया कि उन्हें पैरानॉइड सिजोफ्रेनिया है, हालांकि उनके अजीबो-गरीब बयान और बदला हुआ बर्ताव सब कुछ साफ कर रहा था.

चाकू पकड़कर कांपते हुए महेश भट्ट से बोला था- वो मुझे मार देंगे

परवीन बाबी की रोग के गवाह महेश भट्ट थे, जो उनके साथ रिलेशनशिप में थे. उनकी मृत्यु के बाद महेश भट्ट ने फिल्मफेयर मैगजीन को दिए एक साक्षात्कार में अपने संबंध और कुछ अजीबो-गरीब घटनाओं का जिक्र किया था. उन्होंने साक्षात्कार में बोला था, हमारा रिश्ता 1977 में प्रारम्भ हुआ था, जब परवीन अमर अकबर एंथोनी और काला पत्थर की शूटिंग कर रही थीं.

हम साथ रहने लगे थे, लेकिन एक दिन अचानक बुरी कहानी प्रारम्भ हो गई. 1979 की एक शाम मैं उनके घर पहुंचा तो देखा कि उनकी बुजुर्ग मां जमाल बाबी कॉरिडोर में सहमी हुई खड़ी हैं. उन्होंने फुसफुसाकर कहा, ‘देखो परवीन को क्या हुआ’. मैं अंदर गया तो देखा कि ड्रेसिंग टेबल पर लाइन से परफ्यूम की बोतलें रखी हुई हैं और परवीन फिल्म कॉस्ट्यूम में पलंग और दीवार के बीच दुबकी बैठी हैं. वो कांप रही थीं और उनके हाथ में एक चाकू था.

मैंने उनसे पूछा कि क्या कर रही हो, तो उन्होंने धीमी आवाज में कहा, श्शशश…बात मत करो. इस कमरे में जासूसी करने वाले लोगों ने रिकॉर्डिंग डिवाइस लगा दी है. वे मुझे मारने की प्रयास कर रहे हैं. मुझ पर झूमर गिराने की प्रयास कर रहे हैं. मैं कुछ समझ नहीं पाया और कुछ देर में परवीन मेरा हाथ पकड़कर बाहर ले आईं. उनकी मां निराशा के साथ मुझे देख रही थीं. उनकी आंखें बता रही थीं कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है.

परवीन को इलेक्ट्रिक शॉक देना चाहते थे डॉक्टर्स, महेश भट्ट ने किया इनकार

परवीन की हालत देख महेश भट्ट समझ चुके थे कि उनकी हालत बिगड़ती जा रही है और उन्हें उपचार की कठोर आवश्यकता है. महेश, परवीन को लेकर कई नामी डॉक्टर्स के पास गए. पहले तो परवीन को मेडिसिन से ट्रीट करने की प्रयास की गई, लेकिन उससे बात नहीं बनी तो डॉक्टर्स ने उन्हें शॉक थेरेपी देने को कहा. महेश भट्ट ने इससे इनकार कर दिया.

परवीन को होते थे वहम, कहती थीं- लोग जान लेना चाहते हैं

फिल्मफेयर को दिए साक्षात्कार में महेश भट्ट ने एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा था कि परवीन अपने इर्द-गिर्द की हर चीज पर संदेह करती थीं. एक दिन उन्होंने महेश से बोला था कि उनके कमरे में लगे एयरकंडीशनर में एक चिप लगाई गई है. परवीन का वहम दूर करने के लिए महेश भट्ट ने पूरा एयरकंडीशनर खुलवाकर दिखाया, लेकिन वह फिर भी नहीं मानीं.

बम के डर से चलती कार से उतर गई थीं परवीन

इसी साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, एक दिन हम मेरे दोस्त यूजीकृष्णमूर्ति से मिलकर लौट रहे थे, जो एक फिलॉस्फर भी हैं. परवीन ने रास्ते में ही चिल्लाना प्रारम्भ कर दिया. कहने लगीं, कार में बम है और मुझे बम का अलार्म सुनाई दे रहा है. ये कहते ही वे चलती कार से उतरने की प्रयास करने लगीं. रास्ते में लोगों को लग रहा था कि परवीन और मेरी लड़ाई हो रही है. तमाशा बनने लगा तो मैंने उन्हें टैक्सी से घर पहुंचाया था.

परवीन बाबी को फिल्मी दुनिया से दूर ले गए थे महेश भट्ट

महेश भट्ट को उनके चिकित्सक ने राय दी थी कि जब तक परवीन की हालत नहीं सुधरती, उन्हें फिल्मी दुनिया से दूर रखा जाना चाहिए. महेश भट्ट ने चिकित्सक की बात मान ली और 1979 में वो स्वयं भी परवीन के साथ मुंबई छोड़कर बैंगलोर शिफ्ट हो गए. जब बैंगलोर जाने के बाद भी परवीन की हालत में सुधार नहीं आया, तो डॉक्टर्स ने महेश भट्ट को उनसे दूर रहने की राय दी.

महेश भट्ट ने वही किया और वो परवीन को छोड़कर मुंबई लौट आए. वो मुंबई में रहकर ही चिकित्सक से संपर्क कर परवीन की सहायता करते रहे. एक दिन परवीन ने डॉक्टरों से बोला कि वो वापस मुंबई लौटकर फिल्मों में काम करना चाहती हैं, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें ऐसा करने से इंकार कर दिया.

जब कम कपड़ों में महेश भट्ट के पीछे दौड़ पड़ी थीं परवीन

कई दिनों तक अलग रहने के बाद एक दिन महेश भट्ट, परवीन से मिलने बैंगलोर आए थे. परवीन ने मिलते ही उन्हें एहसास दिला दिया कि वो अपना उपचार नहीं करवाना चाहतीं. इस बात के लिए महेश को कन्विंस करने के लिए वो उन्हें सिड्यूस करने लगीं और कहा- या तो मैं या डॉक्टर. महेश भट्ट समझ गए और उन्हें छोड़कर निकल गए. ये बात परवीन से बर्दाश्त नहीं हुई और वो कम कपड़ों में ही उनके पीछे दौड़ पड़ीं.

आखिरकार 1980 में महेश भट्ट ने परवीन बाबी से सारे संबंध समाप्त कर लिए. इस अलगाव के बाद परवीन ने उपचार कराना बंद कर दिया और मुंबई आकर फिर फिल्मों में काम करने लगीं.

फिल्म के सेट से हुई थीं लापता

परवीन बाबी वर्ष 1983 में एक फिल्म की शूटिंग कर रही थीं. शूटिंग के बीच ही 30 जुलाई 1983 को परवीन गायब हो गईं. लोगों ने उनका पता लगाने की अनेक कोशिशें कीं, लेकिन उनकी कोई समाचार नहीं मिली. अफवाह फैली कि परवीन बाबी पर अंडरवर्ल्ड के लोगों की नजर थी और वह लोग उन्हें उठा ले गए हैं.

न्यूयॉर्क के पागलखाने भेजी गई थीं परवीन

साल 1984 में परवीन बाबी को न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर पुलिस ने पकड़ लिया और पागलखाने में बंद करवा दिया. परवीन एयरपोर्ट पर अजीब बर्ताव कर रही थीं, जब सिक्योरिटी स्टाफ ने उनसे पूछताछ की तो वो अपनी पहचान नहीं बता सकीं. उन्हें हथकड़ियां पहनाकर पागलों के साथ बंद कर दिया गया. इस बात की जानकारी मिलने के बाद जैसे ही भारतीय काउंसिल के अधिकारी उनके पास पहुंचे तो परवीन मुस्कुरा रही थीं. मानों कि कुछ हुआ ही नहीं हो.

6 वर्ष बाद नवंबर 1989 में परवीन मुंबई लौट आईं. सफाई में उन्होंने बोला कि वो अपने दोस्त यूजी कृष्णमूर्ति के साथ पूरे विश्व में घूमकर अध्यात्म की राह पर चल रही थीं. उन्होंने कुछ वर्ष कैलिफोर्निया में भी गुजारे थे. वापस लौटकर परवीन ने दोबारा फिल्मों में काम करना प्रारम्भ कर दिया.

अमिताभ बच्चन को जान का शत्रु बताते हुए रुकवा दी थी शूटिंग

साल 1988 में परवीन को अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म शान में कास्ट किया गया था. एक दिन फिल्म का टाइटल सॉन्ग शूट हो रहा था कि तभी परवीन ने शोर मचाते हुए शूटिंग रुकवा दी. उन्होंने बोला कि सेट पर उनकी मर्डर की षड्यंत्र रची गई थी. उन्होंने को-स्टार अमिताभ बच्चन पर इल्जाम लगाते हुए बोला कि वह उनकी जान लेने की प्रयास कर रहे हैं और उन पर झूमर गिरवाने वाले थे.

परवीन के ये संगीन इल्जाम सुनकर हर कोई दंग था, लेकिन उनकी मानसिक स्थिति किसी से छिपी नहीं थी. शूटिंग रुक गई और परवीन घर चली गईं.

परवीन बाबी ने अमिताभ बच्चन के साथ मजबूर, दीवार, अमर अकबर एंथोनी, काला पत्थर, सुहाग, दो और दो पांच, शान, कालिया, नमक हलाल, खुद्दार जैसी फिल्में की हैं.

कहा था- अमिताभ ने मुझे किडनैप करवाया, मर्डर करना चाहते हैं

साल 1989 में फिल्मफेयर मैगजीन को दिए साक्षात्कार में परवीन ने कहा, अमिताभ बच्चन सुपर इंटरनेशनल गैंगस्टर हैं. वो मेरी जान के पीछे हैं. उनके गुंडों ने मुझे किडनैप किया और एक आइलैंड में रखा, जहां उन्होंने सर्जरी कर मेरे कान के नीचे एक ट्रांसमिटेड चिप लगाई है. इस साक्षात्कार के साथ परवीन की तस्वीर आई जिसमें उनके कान के नीचे कट था.

लोगों को जान का शत्रु समझने लगी थीं परवीन

अमिताभ बच्चन के बाद परवीन ने बिल क्लिंटन, प्रिंस चार्ल्स, यूएस सरकार से जुड़े कई नामी लोगों के विरुद्ध मुकदमा फाइल किया. परवीन का बोलना था कि ये लोग उनकी जान लेना चाहते हैं. हालांकि न्यायालय ने सबूतों की कमी के चलते मुकदमा बंद कर दिया.

 

संजय दत्त के विरुद्ध दाखिल की शिकायत

सालों बाद परवीन बाबी तब सुर्खियों में आईं, जब उन्होंने बोला कि उनके पास संजय दत्त और 1993 में हुए सीरियल बम धमाकों से जुड़े पुख्ता सबूत हैं. 2002 में परवीन बाबी ने एक एफिडेविट फाइल कर बोला था कि उनके पास संजय दत्त के विरुद्ध सबूत हैं. उन्हें सुनवाई के लिए न्यायालय बुलाया गया, लेकिन वह पहुंची ही नहीं. बाद में उन्होंने कहा-अगर मैं आती तो मेरी मर्डर कर दी जाती.

हर कॉल रिकॉर्ड करती थीं परवीन बाबी, कहती थीं- नजर रखी जा रही है

परवीन जुहू स्थित फ्लैट में अकेले रहा करती थीं. वो लोगों से केवल कॉल के जरिए संपर्क करती थीं. जब भी उनके पास कॉल आते थे, तो वो कहती थीं कि उनका कॉल सर्विलांस पर है. जबकि परवीन स्वयं सारे कॉल रिकॉर्ड करती थीं.

तारीख- 22 जनवरी 2005

जगह- एज रिवेरा बिल्डिंग, 7वीं मंजिल, जुहू, मुंबई

परवीन बाबी के अपार्टमेंट के बाहर दूध के पैकेट और अखबार जमा हो रहे थे. वो आमतौर पर प्रतिदिन अखबार और दूध समय पर उठा लिया करती थीं, लेकिन उस दिन पड़ोसियों ने गौर किया कि परवीन कई दिनों से घर से बाहर नहीं निकली हैं.

जब पड़ोसियों ने पास जाकर जानने की प्रयास की तो फ्लैट से सड़न की बू आ रही थी. वो दुर्गंध इतनी तेज थी कि कोई दरवाजे के पास सांस नहीं ले पा रहा था. पड़ोसियों ने तुरंत पुलिस को समाचार दी और जब पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो मंजर दिल दहला देने वाला था.

परवीन बाबी की मृत-शरीर बिस्तर पर पड़ी थी, लेकिन पहचानने लायक नहीं थी. कमरा पूरी तरह बेतरतीब था और बिस्तर के पास एक व्हीलचेयर पड़ी थी. परवीन बाबी की मृत्यु उनकी मृत-शरीर मिलने के 72 घंटे पहले ही हो चुकी थी, जिससे उनका शरीर सड़ चुका था. समाचार मिलते ही बिल्डिंग के नीचे मीडिया जमा हो गई. वहां कोई सम्बन्धी नहीं था, जो इनकी बॉडी को क्लेम करे.

 

महेश भट्ट ने साक्षात्कार में कहा था कि वह 22 जनवरी 2005 का दिन था, जब मैं एयरपोर्ट पर था. हैदराबाद से वापस आते हुए मेरे टेलीफोन में SMS की बाढ़ आ गई थी. एक मैसेज खोला तो पता चला कि परवीन की मृत्यु हो चुकी है. वह अपने अपार्टमेंट में मरी हुई मिली थीं. मेरे लिए विश्वास करना कठिन था. मुझे पता चला कि उनकी डेड बॉडी कूपर हॉस्पिटल में है और कोई सम्बन्धी बॉडी क्लेम करने नहीं पहुंचा. मैंने उसकी जिम्मेदारी ली. परवीन मेरी सफलता का कारण थी. उससे अलग होने के बाद ही मैंने फिल्म अर्थ बनाई और सफलता हासिल की.

मौत से चंद महीनों पहले परवीन क्रिश्चियन हो चुकी थीं और उनकी ख्वाहिश थी कि उनका आखिरी संस्कार क्रिश्चियन रीति-रिवाजों से हो. परवीन के आखिरी संस्कार में उनके कुछ दूर के सम्बन्धी पहुंचे थे, जिन्होंने उनका आखिरी संस्कार उनकी ख़्वाहिश के खिलाफ मुसलमान रीति-रिवाजों से किया. उन्हें जुहू के सांताक्रूज कब्रिस्तान में दफनाया गया.

भूख से हुई मौत, पोस्टमॉर्टम में शरीर में नहीं मिले खाने के ट्रेसेज

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में साफ था कि परवीन की मृत्यु मल्टीपल ऑर्गन फेलियर से हुई थी. उनके पेट में अन्न का एक कतरा भी नहीं मिला, हां लेकिन शराब के ट्रेसेज जरूर मिले थे. परवीन के शरीर में सबसे अधिक सड़न उनके पैर में थी. पैर की उंगलियां काली पड़ चुकी थीं, गैंग्रीन के कारण उन्हें हाई शुगर थी. पैर सड़ने के कारण परवीन बाबी शायद चल नहीं पाती थीं, यही कारण था कि उनके बिस्तर के पास एक व्हीलचेयर मिली थी.

 

Related Articles

Back to top button