यूपीआई पेमेंट सर्विस में फोनपे और गूगल पे के दबदबे को कम करने की तैयारी
हिंदुस्तान में यूपीआई पेमेंट सर्विस में फोनपे और गूगल पे के दबदबे को कम करने के लिए गवर्नमेंट नयी योजना बना रही है। राष्ट्र में 80 प्रतिशत यूपीआई भुगतान फोनपे और गूगल पे से होता है। दोनों अमेरिकी कंपनियां हैं। ऐसे में गवर्नमेंट नहीं चाहती कि यूपीआई बाजार में सिर्फ़ इनका कब्जा रहे।
हाल ही में संसदीय पैनल ने घरेलू फिनटेक फर्म को सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात गवर्नमेंट से कही है। साथ ही यूपीआई पेमेंट सर्विस को सीमित करके 30 फीसद किया जा सकता है ताकि अमेरिकी कंपनियों का वर्चस्व कम किया जा सके। यूपीआई नेटवर्क में करीब 500 बैंक शामिल हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बाद वीजा और मास्टरकार्ड जैसे भुगतान नेटवर्क पर भी शिकंजा कसा है। आरबीआई ने वीजा और मास्टरकार्ड को हिंदुस्तान में व्यावसायिक भुगतान बंद करने को बोला है। कंपनियों की ओर से व्यावसायिक कार्ड के जरिए वेंडर, छोटे उद्यमों और कारोबारियों को भुगतान किया जाता है।
बताया जा रहा है कि केवाईसी नियमों का अनुपालन न करने के चलते यह कार्रवाई की गई है। दरअसल, इस तरह के कार्ड बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों को जारी किए जाते हैं, जो इनका इस्तेमाल कर छोटी कंपनियों को भुगतान करती हैं। ये कार्ड उधारी सुविधा के अनुसार जारी किए जाते हैं।
बिना केवाईसी भुगतान की शिकायत: आरबीआई को ऐसे कुछ मुद्दे मिले हैं, जिनमें बड़ी कंपनियों ने ऐसी छोटी कंपनियों को भुगतान किया, जिनकी केवाईसी नहीं की गई थी। आरबीआई को शक है कि इस ढंग से किए गए भुगतान का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हो रहा है। कहा जा रहा है कि दोनों कार्ड कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे में आरबीआई के शीर्ष ऑफिसरों से मुलाकात भी की है।
छोटे कारोबारियों पर असर संभव: लेनदेन के लिए मास्टरकार्ड और वीजा पर निर्भर कारोबारियों को भुगतान सेवा में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यह ई-कॉमर्स, रीटेल, हास्पिटैलिटी और अन्य कई क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।
किराया और ट्यूशन फीस होंगे प्रभावित: कुछ फिनटेक कंपनियां किराए और ट्यूशन फीस का भुगतान भी रोक सकती हैं। कई फिनटेक मंच ग्राहकों को ट्यूशन फीस, किराए आदि के भुगतान के लिए अपने कार्ड का इस्तेमाल करने की स्वीकृति दे रहे हैं। ये उपयोगकर्ता कार्ड के माध्यम से भुगतान स्वीकार करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।