कर्ज सस्ता होने की राह में महंगाई बनेगी रोड़ा
आरबीआई की पिछली एमपीसी बैठक के दौरान रिपोर्ट को अपरिवर्तित रखे जाने पर आम जनता को कुछ राहत मिली थी। ऊंची ब्याज दरों को लेकर इस वर्ष राहत की कोई आसार नहीं है। देश-दुनिया के बैंकिंग जानकारों और वित्तीय संस्थानों के अनुसार हिंदुस्तान में खुदरा महंगाई रेट 6 प्रतिशत से नीचे रहेगी।
वहीं दूसरी ओर आर्थिक विकास रेट में थोड़ी कमी आने का अनुमान है। इस बीच आरबीआई रिपोर्ट दर में कटौती कर सकता है। जिससे लोन सस्ता होगा। आरबीआई ने रेपो दर को वर्ष के उच्चतम स्तर 6.50% पर अपरिवर्तित रखा। एसबीआई ग्रुप के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने बोला कि आरबीआई के हालिया निर्णय से पहले ऐसी संभावना थी कि ऊंची ब्याज दरें लंबे समय तक बनी रहेंगी। लेकिन अब आशा है कि अगले कुछ महीनों के दौरान ब्याज दरों में कमी आएगी और ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला लंबे समय तक जारी रहेगा। अगर अंतरराष्ट्रीय मंदी आती है तो इसका असर हिंदुस्तान पर भी दिखेगा। इसे ध्यान में रखते हुए ब्याज दरों में और कटौती की आसार है।
अक्टूबर के बाद ब्याज दरों में 0.75% की गिरावट हो सकती है
- अगर वित्त साल 2023-24 में 6.5% की आर्थिक वृद्धि का अनुमान ठीक साबित होता है, तो आरबीआई अक्टूबर, 2023 के बाद रेट में 0.75% की कटौती कर सकता है। – नोमुरा, जापान
- यदि हिंदुस्तान में मुद्रास्फीति की रेट पूर्वानुमान से अधिक है, तो रेट में वृद्धि संभव है। लेकिन यदि आर्थिक वृद्धि में मंदी आती है तो तेजी से दरों में कटौती का विकल्प भी अपनाया जा सकता है। – सिटी, अमेरिकन बैंकिंग कंपनी
- 2024 की पहली और दूसरी तिमाही के दौरान रेपो दर में दो बार 0.25-0.25% की कटौती हो सकती है। खुदरा महंगाई रेट 6 प्रतिशत से नीचे रहेगी, जो आरबीआई के लक्ष्य से अधिक है। – गोल्डमैन सैक्स, एक यूएस-आधारित निवेश बैंकिंग कंपनी
प्रमुख राष्ट्रों में ब्याज दरें प्री-कोविड स्तर पर रहेंगी
IMF के अनुसार, पूरे विश्व के प्रमुख राष्ट्रों में ब्याज दरें प्री-कोविड स्तर पर रहने की आशा है। लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा। लेकिन बढ़ती जनसंख्या के बीच उत्पादन में गिरावट के बीच केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में कटौती करनी होगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई कदम उठाएगा
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