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केंद्र सरकार ने फैमिली पेंशन को लेकर लिया ये बड़ा फैसला

केंद्र गवर्नमेंट ने फैमिली पेंशन को लेकर बड़ा निर्णय लिया है इसके दूरगामी सामाजिक-आर्थिक असर होंगे. एक ऐतिहासिक निर्णय में, केंद्र ने स्त्री कर्मचारियों को अपने पति के बजाय अपने बेटे या बेटी को पारिवारिक पेंशन के लिए नामांकित करने की अनुमति दी है. सोमवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई बयान में बोला गया है कि पहले पारिवारिक पेंशन मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी के पति या पत्नी को दी जाती थी. जबकि परिवार के अन्य सदस्य पति या पत्नी की अयोग्यता या मौत के बाद ही पात्र होते थे.

पेंशन नियमों में बदलाव

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बोला कि पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 में संशोधन पेश किया है. इसमें स्त्री सरकारी कर्मचारियों या पेंशनभोगियों को उनकी मौत के बाद उनके जीवनसाथी के जगह पर उनके पात्र बच्चे/बच्चों को पारिवारिक पेंशन देने की अनुमति होगी. उन्होंने बोला कि संशोधन से उन स्थितियों से निपटने में सहायता मिलेगी जहां वैवाहिक कलह के कारण तलाक की कार्यवाही होती है या घरेलू अत्याचार से स्त्रियों की सुरक्षा, दहेज निषेध अधिनियम या भारतीय दंड संहिता जैसे कानूनों के अनुसार मुद्दे दर्ज किए जाते हैं.

फिलहाल केवल पति को ही नॉमिनी बनाया जा सकता है

केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बोला कि यह निर्णय पीएम मोदी के स्त्रियों को समान अधिकार देने के उद्देश्य की दिशा में एक कदम है नए नियमों के मुताबिक, स्त्री कर्मचारी अपने बेटे या बेटी को पारिवारिक पेंशन का हकदार बना सकती है. नए नियम से बेटे या बेटी की मौत होने पर उन्हें पारिवारिक पेंशन मिलेगी. वर्तमान में स्त्री कर्मचारियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. उन्हें अपने पति को पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र बनाना था. केवल विशेष परिस्थितियों में ही वह परिवार के किसी अन्य सदस्य को चुन सकती थी.

अगर बच्चे नहीं हैं तो सिर्फ़ पति को ही पेंशन मिलेगी

जितेंद्र सिंह ने बोला कि हमने स्त्री कर्मचारियों के हाथ में सत्ता दी है यह संशोधन स्त्रियों को वैवाहिक विवादों, तलाक की कार्यवाही, दहेज या अन्य अदालती मामलों में अतिरिक्त अधिकार देगा. डीओपीपीडब्ल्यू के मुताबिक, स्त्री कर्मचारियों या पेंशनभोगियों को एक लिखित आवेदन जमा करना होगा. इसमें उनकी मांग है कि उनके पति की स्थान उनके बेटे या बेटी को नॉमिनेट किया जाए सरकार ने बोला है कि यदि किसी स्त्री कर्मचारी के बच्चे नहीं हैं तो उसकी पेंशन उसके पति को दी जाएगी हालाँकि, यदि पति किसी नाबालिग या विकलांग बच्चे का संरक्षक है, तो वह वयस्क होने तक पेंशन के लिए पात्र होगा. बच्चे के वयस्क होने पर ही पेंशन दी जाएगी.

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