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सीतारमण ने यहां गीतम यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा

विशाखापत्तनम . केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बोला कि साल 2047 तक विकसित हिंदुस्तान बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्थिर गवर्नमेंट महत्वपूर्ण है. सीतारमण ने यहां गीतम यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, हमारे पीएम ने लक्ष्य रखा है कि साल 2047 तक हमें विकसित हिंदुस्तान का लक्ष्य हासिल करना है. उन्होंने कहा, इसके लिए हमें कोशिश करने होंगे, ताकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़े और सभी लोगों तक फायदा पहुंचे. जीडीपी वृद्धि अपने-आप नहीं होती है, इसके लिए सूक्ष्म एवं व्यापक स्तर और जमीनी स्तर पर प्रयासों की आवश्यकता होती है.

सीतारमण ने बोला कि जीडीपी की रैंकिंग के साथ राष्ट्र की छवि भी जरूरी है. उन्होंने बोला कि प्रति आदमी आय गणना के साथ ये सभी कारक भी अर्थ रखते हैं. उन्होंने कहा, जब तक जीडीपी नहीं बढ़ेगी, हम अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा नहीं कर पाएंगे. हमें निवेश एवं सेवाओं को बढ़ाने, शैक्षणिक संस्थानों और लोगों को घर खरीदने एवं कारोबार प्रारम्भ करने के लिए धन की आवश्यकता होती है. वित्त मंत्री ने पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास की गति पर प्रश्न उठाने और हिंदुस्तान के तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को एक अंकगणितीय अपरिहार्यता बताने के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की निंदा भी की.

उन्होंने बोला कि शहरों से लेकर गांवों तक यूपीआई जीवन बदल रहा है और अब गरीब, ग्रामीण महिलाएं डिजिटल भुगतान पसंद करती हैं. उन्होंने बोला कि यह प्रगति आम लोगों की क्षमताओं के बारे में उठाए गए शक को खारिज करती है. सीतारमण ने बोला कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासन के दौरान हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को बहुत हानि हुआ था लेकिन मौजूदा गवर्नमेंट के समय यह शीर्ष पांच में पहुंच गई और अब यह आने वाले सालों में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. उन्होंने बोला कि ऐसी स्थिति में हिंदुस्तान के अपने-आप तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने की बात करना राष्ट्र के लिए मोदी गवर्नमेंट द्वारा किए गए प्रयासों को कमजोर करने के अतिरिक्त कुछ नहीं है.

सीतारमण ने बोला कि हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने अनुसंधान कोष के लिए लगभग एक लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं और इस निवेश का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में हिंदुस्तान के अनुसंधान बजट के साथ राष्ट्र में समावेशी विकास को बढ़ावा देना है.

 



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