फोर्ड-टोयोटा में कड़ी प्रतिस्पर्धा के ये हैं कारण
Toyota-Ford Story: भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। श्रमशक्ति और क्रयशक्ति अधिक होने की वजह से पूरे विश्व की कंपनियां हिंदुस्तान में अपनी साख और धाक जमाना चाहती हैं। सस्ती श्रमशक्ति मिलने की वजह से वस्तुओं का उत्पान और यहां के लोगों में क्रयशक्ति अधिक होने से वस्तुओं की बिक्री सरलता से हो जाती है। यहां के बाजार में धाक और साख जमाने के मुद्दे में विदेशी कार कंपनियां अछूती नहीं हैं। पिछले दो दशक से भी अधिक समय से हिंदुस्तान में धाक जमाने के लिए दो विदेशी कार कंपनियों में साख का विवाद है। इनमें एक को वर्ष 2021 में कारोबार समेटकर बाजार से आउट होना पड़ा, लेकिन अब वह दोबारा वापस आ रही है। वहीं, दूसरी बाजार का लीडर बनी हुई है। इनमें से एक जापान की है, तो दूसरी अमेरिका की। इनका नाम टोयोटा और फोर्ड मोटर है। इन दोनों विदेशी कंपनियों के हिंदुस्तान में आने की बड़ी ही रोचक कहानी है। आइए, जानते हैं।
फोर्ड-टोयोटा में कड़ी प्रतिस्पर्धा के क्या हैं कारण?
आर्थिक उदारीकरण: बात 1990 के दशक की है। खाड़ी युद्ध की वजह से हिंदुस्तान घनघोर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार इतना अधिक घट गया था कि गवर्नमेंट के पास सिर्फ़ 14 दिन के आयात तक ही विदेशी मुद्रा बची हुई थी। इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए गवर्नमेंट को विदेशी मुद्रा हासिल करने के लिए बैंक और इंग्लैंड के पास करीब 21 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था। इसके बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए गवर्नमेंट ने आर्थिक उदारीकरण की आरंभ की। इसके लिए उसने विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया। गवर्नमेंट के इस कदम के बाद विदेशी कार कंपनियां हिंदुस्तान आने लगीं। इन कार कंपनियों में टोयोटा और फोर्ड का भी नाम शामिल है।
भारत में फोर्ड-टोयोटा ने कब रखा कदम: यह वही दौर था, जब हिंदुस्तान में विदेशी कंपनियों ने तेजी से निवेश करने के साथ दस्तक देना प्रारम्भ किया। इन्हीं विदेशी कंपनियों में ऑटोमोबाइल सेक्टर की दो कंपनियां जापान टोयोटा मोटर और अमेरिका की फोर्ड मोटर ने भी कदम रखा। सबसे पहले, अमेरिका की कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर ने वर्ष 1994 के दौरान हिंदुस्तान में अपना कदम रखा। इसके बाद वर्ष 1997 में जापान की टोयोटा हिंदुस्तान आई।
टोयोटा फॉर्च्यूनर और फोर्ड एंडेवर के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा: हिंदुस्तान आने के बाद अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड मोटर ने वर्ष 2003 में अपनी पॉपुलर एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स) एंडेवर को भारतीय बाजार में लॉन्च किया। कुछ ही दिनों में यह कार काफी पॉपुलर हो गई और कंपनी के लिए एक ब्रांड बन गई। फोर्ड एंडेवर के बाजार में आने के करीब 6 वर्ष बाद वर्ष 2009 में टोयोटा ने अपनी एसयूवी कार फॉर्च्यूनर को भारतीय बाजार में लॉन्च किया। इस कार का सीधा मुकाबला फोर्ड एंडेवर से था। एसयूवी कार सेगमेंट में टोयोटा फॉर्च्यूनर के आने के बाद फोर्ड एंडेवर की डिमांड घटने लगी। वहीं, फॉर्च्यूनर की बाजार हिस्सेदारी बढ़ने लगी। एक समय ऐसा आ गया कि टोयोटा ने फॉर्च्यूनर के एक से बढ़कर एक कई लेटेस्ट वेरिएंट्स को बाजार में पेश किया, जबकि फोर्ड एंडेवर की बिक्री लगातार घटती गई और कंपनी लगातार घाटे में घिरती चली गई।
सितंबर 2021 में फोर्ड ने समेटा कारोबार: मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारी घाटे के कारण वर्ष 2021 के सितंबर में फोर्ड ने हिंदुस्तान से अपना कारोबार समेटते हुए एंडेवर का उत्पादन और बिक्री बंद करने का घोषणा कर दिया। इतना ही नहीं, कंपनी भारी आर्थिक संकट का सामना कर रही थी। ऐसे में उसने तमिलनाडु की चेन्नई में करीब 350 एकड़ में फैले अपने प्रोडक्शन प्लांट को बेचने का प्लान बनाया। उसके इस प्लांट का अधिग्रहण करने में सबसे पहले महिंद्रा ने रुचि दिखाई, लेकिन अगस्त 2023 में यह सौदा रद्द हो गया। इसके बाद वियतनाम की इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी विनफास्ट और सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू ने रुचि दिखाई, लेकिन यह सौदा भी परवान नहीं चढ़ सका। अब कंपनी अपनी फोर्ड एंडेवर को हिंदुस्तान में दोबारा लॉन्च करने के साथ नए सिरे से अपने कारोबार की आरंभ करने जा रही है, जबकि उसकी प्रतिस्पर्धी कंपनी ने फॉर्च्यूनर के लीडर एडिशन को अभी हाल ही में बाजार में लॉन्च कर दिया है।
भारत में कितनी बिकी फोर्ड एंडेवर एसयूवी कार: चाइनीज कार्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कार कंपनी ने 2014 से 2021 के बीच एंडेवर की करीब 31,633 इकाइयों की बिक्री की। जब 2021 के सितंबर में उसने एंडेवर की बिक्री और उत्पादन बंद करने का घोषणा किया था, उससे पहले जुलाई में उसने इसकी 1024 इकाई और अगस्त में 928 इकाइयों की बिक्री थी।
टोयोटा फॉर्च्यूनर की कितनी इकाइयों की हुई बिक्री: हिंदुस्तान में वर्ष 2009 में लॉन्च होने के बाद से अब तक टोयोटा फॉर्च्यूनर की बिक्री की बात की जाए, तो जापानी कंपनी ने इस एसयूवी कार की करीब 2,51,000 इकाइयों की बिक्री की है। कंपनी की वेबसाइट पर यह दावा भी किया जा रहा है कि वह अकेले बिदादी के प्लांट से सालाना 2,10,000 इकाइयों का उत्पादन करती है। फिलहाल, टोयोटा का हिंदुस्तान में किर्लोस्कर मोटर के साथ समझौता है, जो उसकी कारों की बिक्री करती है। इससे पहले टोयोटा का डीसीएम के साथ भारतीय सहयोगी के तौर पर समझौता हुआ था।
भारत में दोबारा दस्तक देगी फोर्ड एंडेवर
अब समाचार यह है कि अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड मोटर अपनी पॉपुलर एसयूवी कार एंडेवर को दोबारा लॉन्च करने जा रही है। भारतीय सड़कों पर इसकी टेस्टिंग भी प्रारम्भ हो चुकी है। कंपनी ग्लोबल बाजार में इस एसयूवी को एवरेस्ट के नाम से बेचती है और पिछले वर्ष के सितंबर में ही उसने इसके नए एडिशन को थाईलैंड में लॉन्च किया है। अब कंपनी ने इसे हिंदुस्तान में दोबारा लाने से पहले एंडेवर या एवरेस्ट नामक ट्रेडमार्क हासिल करने के लिए आवेदन दिया है। हालांकि, 2003 में भी वह एवरेस्ट नामक ट्रेडमार्क हासिल करना चाहती थी, लेकिन उसे यह नाम नहीं मिला, तब एंडेवर के नाम से वाहन का उत्पादन और बिक्री करनी पड़ी थी। अब देखना रोचक यह होगा कि हिंदुस्तान में दोबारा आने के बाद इसकी स्थिति कैसी रहती है?