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जिन छोटी कारों पर भारी पड़ रहीं SUVs, 2 साल के अंदर बाजार में फिर होगा उनका दबदबा

हर महीने जब कारों की सेल्स रिपोर्ट आती है, तब उसमें कुछ चौंकाने वाले नतीजे भी नजर आते हैं. इसमें जो बड़ा परिवर्तन देखने को मिलता है वो छोटी हैचबैक की स्थान छोटी SUVs की सेल्स में बढ़ोत्तरी होना है. पिछले कुछ वर्षों से SUVs का सेल्स ग्राफ तेजी से बढ़ा है. जिसके चलते छोटी हैचबैक की सेल्स काफी डाउन हुई है. मारुति, टाटा और हुंडई जैसी कंपनी के छोटे मॉडल ही सर्वाइव कर पा रहे हैं. दूसरी कंपनियों की कारों के लिए बिक्री की राह कठिन होती जा रही है. इस बीच, मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव का छोटी कारों को लेकर शाँति भरा बयान आया है. उन्होंने बोला है कि 2026 तक छोटी कार बाजार में फिर से वापसी करेंगी.

SUVs के सामने छोटी कारों का संघर्ष
दरअसल, भार्गव ने ET को दिए एक साक्षात्कार में बोला कि आने वाले दो वर्षों में छोटी कारों की फिर से वापसी हो सकती है. क्योंकि ग्राहकों अपनी आय के हिसाब से स्कूटर और मोटरसाइकिल को इन छोटी कारों से अपग्रेड कर सकते हैं. उन्होंने इस बात से इंकार कर दिया कि लोग टू-व्हीलर को छोड़कर मिडियम साइज की कार और SUVs की तरफ जा रहे हैं. फाइनेंशियल ईयर 2024 में हिंदुस्तान की रिकॉर्ड कार की बिक्री में SUVs के बढ़ते कद के बीच छोटी कारों ने काफी संघर्ष किया है. हालांकि, मारुति छोटी कारों के मुद्दे में पहली पोजीशन पर बनी रही.

बायोफ्यूल पर भी फोकस करना जरूरी
भार्गव ने बाताया कि राष्ट्र के अंदर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए केवल इलेक्ट्रिक व्हीकल पर फोकस करना महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि बिजली पैदा करने के लिए कोयला इस्तेमाल किया जा रहा है. हिंदुस्तान के बायोफ्यूल जैसे इथेनॉल और सीएनजी जैसी कई टेक्नोलॉजी की सहायता से भी उत्सर्जन को कम किया जा सकता है. कंपनी अभी एक भी इलेक्ट्रिक कार नहीं बेच रही है, लेकिन उसके पास हाइब्रिड और सीएनजी कारों की बड़ा पोर्टफोलियो है.

छोटी कारों की बिक्री तेजी से गिरी
फाइनेंशियल ईयर 2024 में SUV की बहुत बढ़िया डिमांड के चलते पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री में 8.7% की वृद्धि हुई, जबकि स्मॉल कार की बिक्री 12% गिर गई. फाइनेंशियल ईयर 2023 में ओवरऑल व्हीकल सेल्स में छोटी कारों की हिस्सेदारी 34.4% से गिरकर 27.7% पर आ गई. जबकि फाइनेंशियल ईयर 2028 में ये आंकड़ा 47.4% का था.

सेफ्टी फीचर्स ने कारों को महंगा किया
भार्गव ने बोला कि एंट्री लेवल कारों की कीमतें पिछले कुछ वर्षों में ग्राहकों की आय की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ी हैं, जिसके असर इनकी डिमांड पर भी हुआ है. कारों की इनपुट कॉस्ट, इंश्योरेंस चार्जेज, रोड टैक्स, उच्च उत्सर्जन और सेफ्टी नॉर्म्स के चलते भी कारों की कीमतों में तेजी आई है. उन्होंने बोला कि टू-व्हीलर खरीदारों ने अब बाजार में लौटना प्रारम्भ कर दिया है. वे शीघ्र छोटी कारों की तरफ भी लौटेंगे इस बात की भी गारंटी है.

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