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उच्च कीमतों के बावजूद जनवरी-मार्च में तीन प्रतिशत बढ़ी वैश्विक सोने की मांग

नई दिल्ली . उच्च कीमतों के बावजूद जनवरी-मार्च में अंतरराष्ट्रीय सोने की मांग हल्की रूप से तीन फीसदी बढ़कर 1,238 टन हो गई. यह 2016 के बाद से सबसे मजबूत तिमाही रही. विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने मंगलवार को अपनी अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ‘गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स क्यू1 2024’ जारी की. इसके अनुसार, सोने की कुल अंतरराष्ट्रीय मांग (ओवर द काउंटर खरीद सहित) सालाना आधार पर तीन फीसदी बढ़कर 1,238 टन हो गई. ‘ओवर-द-काउंटर’ (ओटीसी) लेनदेन दो पक्षों के बीच सीधे होते हैं, जबकि ‘एक्सचेंज ट्रेडिंग’ एक्सचेंज के जरिए होती है.

जनवरी-मार्च में ओटीसी के अतिरिक्त मांग 2023 की इसी अवधि की तुलना में पांच फीसदी घटकर 1,102 टन रह गई. विश्व स्वर्ण परिषद में वरिष्ठ बाजार विश्लेषक लुईस स्ट्रीट ने कहा, ‘‘ मार्च के बाद से सोने की मूल्य सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है…’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हालिया उछाल के पीछे कई कारक हैं, जिनमें भू-राजनीतिक जोखिम में वृद्धि और चल रही व्यापक आर्थिक अनिश्चितता शामिल है….’’ उन्होंने बोला कि केंद्रीय बैंकों की ओर से लगातार तथा दृढ़ मांग, मजबूत ओटीसी निवेश और ‘डेरिवेटिव’ बाजार में बढ़ी हुई सही खरीद ने सोने की मूल्य को बढ़ाने में सहयोग दिया है.

स्ट्रीट ने बोला कि ऐतिहासिक रूप से, हिंदुस्तान और चीन सहित दुनिया के पूर्वी बाजार में तब्दीली तब आती है जब कीमतें नीचे जा रही होती हैं, जबकि पश्चिमी बाजार में तब्दीली तब आती है जब कीमतें ऊपर जा रही होती हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार हमने पूर्ण उलटफेर देखी है. पहली तिमाही में भारतीय और चीनी बाजारों में सोने की कीमतों में वृद्धि पर तब्दीली आई है. ’’ स्ट्रीट ने 2024 की संभावनाओं पर बोला कि इस वर्ष सोने के हालिया प्रदर्शन के आधार पर साल की आरंभ में लगाए गए अनुमान की तुलना में अधिक मजबूत रिटर्न मिलने की आसार है.

उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले महीनों में यदि कीमतें स्थिर रहती हैं, तो कुछ मूल्य-संवेदनशील खरीदार बाजार में फिर से प्रवेश कर सकते हैं. निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने की ओर देखना जारी रखेंगे जहां वे ब्याज दरों में कटौती और चुनाव परिणामों के बारे में स्पष्टता चाहेंगे.

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