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इतने सेकेंड पहले टली सोयुज रॉकेट की लॉन्चिंग

एक्सपेडिशन 71 के तीन अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाला रूसी सोयुज रॉकेट 21 मार्च, 2024 को लॉन्च पैड पर कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम पर खड़ा था.

तीन अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS लेकर जा रहे रूस के सोयुज रॉकेट की लॉन्चिंग गुरुवार, 21 मार्च को टाल दी गई. इसे लॉन्च से सिर्फ़ 21 सेकेंड पहले रोकना पड़ा. अब शनिवार को ये लॉन्च हो सकता है.

इस रॉकेट में नासा की एस्ट्रोनॉट ट्रेसी कैल्डवेल डायसन, रशियन कॉस्मोनॉट ओलेग नोवित्स्की और बेलारूस की स्पेसफ्लाइट पार्टिसिपेंट मरीना वासिलिव्स्काया सवार थे. इसका लिफ्टऑफ शाम 6:51 बजे (IST) कजाकिस्तान से होना था.

ऑटोमैटिक सिस्टम से मिशन अबॉर्ट हुआ
नासा के प्रवक्ता रोब नेवियास ने कहा- ऑटोमैटिक सिस्टम से मिशन अबॉर्ट हो गया. इसके बाद रूसी एजेंसी रोस्कोस्मोस ने इंजीनियर्स की टीम लॉन्च पैड पर भेजी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्हीकल सेफ है क्रू को बाहर निकाला जा सकता है.

कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम में सोयुज रॉकेट पर तरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने के लिए तैयार बेलारूस की मरीना वासिलिव्स्काया (टाप), नासा की ट्रेसी कैल्डवेल डायसन (बीच में) और रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग नोवित्स्की. (इमेज क्रेडिट: नासा टीवी)

वोल्टेज की गिरावट के कारण मिशन रुका
रोस्कोसमोस के जनरल डायरेक्टर यूरी बोरिसोव ने बोला कि ‘कारण की पहचान कर ली गई है, हमने स्टेट कमीशन की एक मीटिंग में पाया कि इसका कारण केमिकल करेंट सोर्स में वोल्टेज की गिरावट है.

सोयुज और ड्रैगन से एस्ट्रोनॉट ISS जाते हैं
रूस के सोयुज स्पेसक्राफ्ट और अमेरिका के बिलेनियर एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए ही एस्ट्रोनॉट्स को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक पहुंचाया और वापस पृथ्वी पर लाया जाता है. ISS के लिए सोयुज का इस्तेमाल 24 वर्ष से किया जा रहा है.

साल 2011 तक नासा के स्पेस शटल से भी एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाते थे, लेकिन हादसों के बाद नासा को स्पेस शटल को रिटायर करना पड़ा था. इसके बाद 9 वर्ष तक अमेरिका रूस के सोयुज स्पेसक्राफ्ट पर निर्भर हो गया था.

पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर है ISS
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर है. ये अंतरिक्ष में मानव निर्मित सबसे बड़ी और चमकदार वस्तु है जिसे पृथ्वी से देखा जा सकता है. एस्ट्रोनॉट माइक्रो ग्रेवेटी इनवॉयरमेंट में कई तरह के एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहां जाते हैं.

28,000 Km प्रति घंटे की रफ्तार से घूमता है ISS
ISS का आकार फुटबॉल मैदान के बराबर है. करीब 28,000 Km/hr की रफ्तार से यह पृथ्वी के चक्कर लगाता है. पांच राष्ट्रों की स्पेस एजेंसी अमेरिका की NASA, यूरोप की ESA, जापान की JAXA, रूस की ROSKOSMOS और कैनेडा की CSA का ये प्रोजेक्ट है.

 

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