23 करोड़ की लागत से बनने वाले नौसेना शौर्य संग्रहालय,सीएम योगी आदित्यनाथ किए भूमि पूजन
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को हिंदुस्तान रत्न अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम के पास सीजी सिटी में 23 करोड़ की लागत से बनने वाले नौसेना शौर्य संग्रहालय के निर्माण कार्य परियोजना का भूमि पूजन और बटन दबाकर शिलान्यास किया। उन्होंने यहां पौधरोपण भी किया। भातखंडे संस्कृति यूनिवर्सिटी के बच्चों ने राष्ट्रगीत और भारतीय नौसेना के बैंड ने अपनी प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यह संग्रहालय उत्तर प्रदेश के वाटरवे और युवाओं के रोजगार की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर बोला कि अपनी विरासत और अतीत को विस्मृत करके कोई समाज-राष्ट्र विकास की बुलंदियों को नहीं छू सकता। अतीत सदैव आदमी और समाज के साथ चलता है। अतीत का गौरवशाली क्षण नयी प्रेरणा होती है। पथप्रदर्शक और आगे बढ़ने के लिए अवसर होता है। यह लखनऊ और प्रदेश के लिए ऐतिहासिक क्षण है, जब नौसेना शौर्य संग्रहालय के स्थापना की नींव रखी जा रही है। यह संग्रहालय नए उभरते क्षेत्र में विकास की इस नयी आभा को संजोए हुए सीजी सिटी में आदिगंगा के रूप में विख्यात गोमती नदी के तट पर पहचान बनाएगा। यह संग्रहालय भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत का नया माध्यम बनेगा।
सीएम ने बोला कि 2014 के पहले उत्तर प्रदेश लैंडलॉक स्टेट था। लोग कहते थे कि जलमार्ग से कोई वस्तु उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं जा सकती पर इसमें सच्चाई नहीं थी। 40-50 साल पहले गांवों में सुनते थे कि नौकाओं से जल परिवहन होता था। जब सड़कों का संजाल नहीं था, ट्रेन का कारगर आवागमन नहीं था, तब एक जगह से दूसरे जगह तक परिवहन और वस्तु ले जाने का माध्यम नदी-जलमार्ग ही बनता था। उत्तर प्रदेश में पर्याप्त जल संसाधन हैं। इन नदियों के माध्यमों और क्षमता को देखते हुए उत्तर प्रदेश अपने यहां स्टेट वाटरवे अथॉरिटी के गठन की कार्रवाई को बढ़ा रहा है।
सीएम ने बोला कि उत्तर प्रदेश से बड़ी एक गाथा है। साउथ कोरिया अपनी तकनीक के लिए जाना जाता है। वहां के राजवंश का मानना है कि उनकी दादी मां अयोध्या की राजकुमारी थीं। उनकी स्मृति में अयोध्या में स्मारक बन चुका है। उन्हें अयोध्या में राजकुमारी रत्ना और साउथ कोरिया में क्वीन हो के रूप में स्मरण किया जाता है। उनके प्रति श्रद्धा का रेट है। 2000 साल पहले राजकुमारी रत्ना जलमार्ग से अयोध्या से साउथ कोरिया पहुंची थीं, यानी तब भी उत्तर प्रदेश का संबंध जलमार्ग से
यहां पर सातवाहन, चोल, बुद्ध राजवंशों की चर्चा हुई पर हम द्वारिकाधीश को भूल जाते हैं। द्वारिका समुद्र के अंदर थी। उस समय परिवहन का सबसे बड़ा माध्यम जलमार्ग नौकाओं का बेड़ा था। जिसके माध्यम से उन्होंने द्वारिका को सबसे समृद्ध नगरी के रूप में स्थापित कर दिया था। ईश्वर श्रीकृष्ण ने 5000 साल पहले द्वारिका में यह कार्य करके दिखाया था। समुद्र में कार्य करने का हिंदुस्तान का बहुत पुराना अनुभव है। ईश्वर राम ने लंका में जाने के लिए सेतु का निर्माण किया था।
सीएम ने बोला कि यह साल अत्यंत जरूरी है। नौसेना को अपना स्वदेशी चिह्न भी प्राप्त हुआ है, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्थापित किया था। यह गौरव के क्षण होते हैं। मुख्यमंत्री ने बोला कि एलडीए से बोला है कि 64 एकड़ का वेटलैंड विकसित करने के लिए पर्यटन, सिंचाई और वन इस कार्यक्रम को बढ़ाएंगे। साथ ही यहां उत्तर प्रदेश के वो जवान, जिन्होंने राष्ट्र की आजादी के बाद विभिन्न युद्धों में सीमाओं और विभिन्न राज्यों में आंतरिक सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, उनकी स्मृतियों को बनाए रखने के लिए पुलिस या सेना स्मारक के लिए स्थापित होना चाहिए। जिससे भावी पीढ़ी को सेना-अर्धसेना और पुलिस के प्रति सम्मान का रेट पैदा हो सके। ऐसा कार्य हम बढ़ाएंगे।
सप्तमी तिथि पर कन्या को लगाया टीका, दी दक्षिणा
सीएम योगी आदित्यनाथ का बाल्यप्रेम कार्यक्रम में भी दिखा। उन्होंने शिलान्यास स्थल पर उपस्थित नन्हीं बच्ची से हालचाल जाना। नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर उन्होंने बच्ची को टीका लगाया और दक्षिणा भी दी। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट के संस्कृति और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, महापौर सुषमा खर्कवाल, विधायक डाक्टर नीरज बोरा, डाक्टर राजेश्वर सिंह, योगेश शुक्ल, अमरेश कुमार, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (पश्चिमी नौसेना कमान) वाइस एडमिरल दिनेश के। त्रिपाठी एवीएसएम-एनएस, लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राज सुब्रमण्यम, प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव (पर्यटन) मुकेश मेश्राम आदि उपस्थित थे।