बिहार

बिहार लोकसभा चुनाव में जातिगत गणना आंकड़े के मुताबिक, यादव के बाद दूसरी बड़ी जाति आया कुशवाहा

पटना बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण का कार्ड अनेक सियासी दल बहुत सोच समझ कर खेल रहे हैं और जातीय गोटी ऐसा सेट करने की प्रयास कर रहे हैं कि उसका बड़ा लाभ उनके उम्मीदवारों को मिल सके इस खेल में उन जातियों पर बड़ा दांव खेला जा रहा है, जिनकी अहमियत इस चुनाव में बहुत खास हो गयी है इन्हीं जातियों में एक है कुशवाहा जाति जिनके यादवों के बाद सबसे अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं

दरअसल, जातिगत गणना के आंकड़े के मुताबिक, यादव के बाद दूसरी सबसे बड़ी जाति के तौर पर कुशवाहा जाति आता है इसकी जनसंख्या 4.2 फीसदी है जो बहुत प्रभावशाली जाति मानी जाती है इसकी अहमियत इस चुनाव में साफ-साफ देखने को मिल रहा है महागठबंधन ने एनडीए के वोट बैंक माने जाने वाले कुशवाहा जाति से एनडीए से अधिक उम्मीदवार उतार दिया और इसके साथ ही चर्चा का बाजार गर्म हो गया

‘माय’ के साथ ‘कुश’ को जोड़ने की कवायद

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि महागठबंधन की सबसे मजबूत दल आरजेडी है, जिसका MY यानी मुसलमान और यादवों का समीकरण माना जाता है लेकिन, उसके साथ कोई और मजबूत जाति का जुड़ाव अब तक नहीं हो पाया है ऐसे में इसी कमी को पूरा करने के लिए महागठबंधन ने कुशवाहा जाति पर बड़ा दांव खेला है और एनडीए से भी अधिक छह उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है

आरेजेडी से जुड़े तो बनेगा मजबूत समीकरण

रवि उपाध्याय कहते हैं, कुशवाहा जाति न केवल संख्या बल के लिहाज से जरूरी है, बल्कि कई सीट पर जीत हार में जरूरी रोल अदा करते हैं अब जब इसका आरजेडी के वोट बैंक के साथ जुड़ाव होता है महागठबंधन का पलड़ा कई सीटों पर भारी हो जाता है खास बात यह है कि कुशवाहा जाति के लोगों के बारे में बोला जाता है कि यह वर्ग अपनी जाति के कैंडिडेट को देखकर वोट करता है न कि कोई दल विशेष ऐसे में आरजेडी का दांव कारगर साबित हो सकता है

सम्राट और उपेंद्र इफेक्ट को लालू का दांव भारी!

रवि उपाध्याय कहते हैं कुशवाहा जाति के साथ एक और मजबूत पक्ष ये भी है कि ग्रामीण इलाकों में कुशवाहा जाति के साथ अति पिछड़ा समाज के कई जातियों का भी जुड़ाव हो जाता है जिससे इनका महत्व और बढ़ जाता है यही वजह है कि महागठबंधन ने कुशवाहा जाति पर बड़ा दांव लगाया है और इसकी वजह से एनडीए की कठिनाई अभी बढ़ी हुई है यह तब की स्थिति है जब एनडीए के तरफ सम्राट चौधरी और उपेन्द्र कुशवाहा जैसे दिग्गज नेता हैं

महागठबंधन के कुशवाहा उम्मीदवारों को जानिये

दरअसल, आंकड़े पर नजर डालें तो एनडीए में जदयू ने तीन कुशवाहा और एक उपेन्द्र कुशवाहा उम्मीदवार है, जबकि महागठबंधन पर नजर डालें तो आरजेडी ने तीन, VIP ने एक, माले और सीपीएम ने एक-एक कुशवाहा उम्मीदवार मैदान में उतारा है, यानी एनडीए से दो ज्यादा महागठबंधन ने अब तक 6 कोइरी जाति के उम्मीदवारों को उतारा है इनमें राजद ने नवादा से श्रवण कुशवाहा, औरंगाबाद से अभय कुशवाहा, उजियारपुर से आलोक मेहता को टिकट दिया है वहीं, सीपीएम ने खगड़िया से संजय कुमार को, भाकपा माले ने काराकाट से राजाराम प्रसाद को और वीआईपी ने पूर्वी चंपारण से राजेश कुशवाहा पर चुनावी दांव खेला है

नीतीश कुमार के लव-कुश में सेंध का लालू का दांव

दूसरी ओर एनडीए के उम्मीदवारों पर नजर डालें तो जेडीयू ने वाल्मीकि नगर से सुनील कुशवाहा को, पूर्णिया से संतोष कुशवाहा और सीवान से विजय लक्ष्मी कुशवाहा को टिकट दिया है वहीं काराकाट से आरएलएम के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा उम्मीदवार हैं ऐसे तो माना जाता है कि कुशवाहा वोटर अमूमन बिहार में लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) समीकरण के अनुसार नीतीश कुमार को अपना नेता मानते रहे हैं, लेकिन बदले दौर में यह जाति भी रणनीतिक यानी टेक्टफुल हो गई है और अपनी जाति के भलाई को देखते हुए निर्णय लेती है बीते कई चुनावों में यह साफ-साफ दिखा भी है

Related Articles

Back to top button