बिहार के बांका में सास और दामाद की अनोखी लव स्टोरी आई सामने
बांका। बिहार के बांका में सास और दामाद की अनोखी लव स्टोरी सामने आई है। दोनों ने समाज के नियमों को ताक पर रखकर विवाह भी कर ली। दामाद ने सबके सामने सास की मांग में सिंदूर डाला। पूरे जिले में इस अनोखी प्रेम कहानी की चर्चा है। प्रेम कहानी का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि ससुर ने ही दामाद की विवाह अपनी पत्नी से करवाई। यह सब उसने तब किया, जब उसे दोनों के बीच के प्रेम-प्रसंग की भनक लगी। हालांकि, दामाद ने सास से न्यायालय मैरिज की है।
पूरा मुद्दा बांका जिले के सदर थाना क्षेत्र के छत्रपाल पंचायत के हिरमोती गांव का है। हिरमोती गांव निवासी दिलेश्वर दरवे ने अपनी बेटी की विवाह करीब ढाई दशक पहले जनपद के कटोरिया प्रखण्ड के धोबनी के सिकंदर यादव से की थी। विवाह के कुछ वर्ष बाद उसकी पहली पत्नी की मृत्यु हो गई। सिकंदर की जीवन में फिर से मौसम बहार बनकर तब आया जब उसने दूसरी विवाह की।
हालांकि, यह सिकंदर की दूसरी विवाह असफल रही। सिकंदर ने दूसरी पत्नी को तलाक दे दिया। इतना सब होने के बाद भी उसका पहली पत्नी के घर पर आना जाना लगा रहा। उसके पहले पत्नी से दो बच्चे थे। दूसरी पत्नी से तलाक होने के बाद सिकंदर की जीवन वीरान हो गई थी। इसी बीच, उसकी टेलीफोन पर अपनी 45 वर्षीय सास गीता देवी से बात होती रही। वार्ता कब प्यार में बदल गई दोनों को पता ही नहीं चला। प्रेम परवान चढ़ा तो ससुर दिलेश्वर दरवे को संदेह हुआ।
दामाद और सास के बीच प्रेम संबंध बढ़ते गए। ससुर दिलेश्वर ने भी दोनों के दिल मिलाने का बीड़ा उठाया। उसने सबसे पहले अपने समाज के लोगों को सास-दामाद की प्रेम-कहानी की चर्चा की। इसी बीच, दामाद और सास ने खुलकर अपने प्रेम का इजहार कर दिया। ससुर ने भी रजामंदी दे दी। फिर क्या था, दामाद ने सबके सामने सास की मांग में सिंदूर डाला।
दामाद सिकंदर ने अपनी प्रेम कहानी के बारे में बताते हुए कहा, ‘पत्नी के मृत्यु के बावजूद मेरा ससुराल आना-जाना लगा रहता था। सास से लगातार टेलीफोन पर बात होती रहती थी। हमारी वार्ता कब प्यार में बदल गई, इसका जरा भी अंदाजा नहीं हुआ। जब प्यार हो गया तो हम दोनों ने विवाह करने की ठानी।’
दामाद से विवाह करने वाली सास गीता देवी ने अपने संबंध को सही बताते हुए कहा, ‘दामाद से विवाह करने पर मुझे कोई पछतावा नहीं है।’
इधर, ससुर दिलेश्वर ने कहा, ‘जब मुझे दोनों के प्रेम-संबंध का पता चला तो मेरे पास विवाह कराने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं बचा था। इसलिए मैंने खुशी-खुशी दोनों की विवाह करा दी।’