पहली बार गायों में मिला बर्ड फ्लू का वायरस: बीमारी के कारण गाय का दूध हो रहा गाढ़ा
गायों में पहली बार बर्ड फ्लू का वायरस पाया गया है. इस रोग के कारण गाय का दूध गाढ़ा हो रहा है और इसका रंग फीका पड़ रहा है. अमेरिका में ये मुद्दे आए हैं. यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर ने इसकी पुष्टि की है.
विभाग ने बोला कि टेक्सास और कैनसस के 4 डेयरी फार्मों में गायों में एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI) का टेस्ट पॉजिटिव आया है. न्यू मैक्सिको में भी मामलों की पुष्टि की गई है. हालांकि प्रभावित डेयरी फार्मों की संख्या नहीं बताई है.
पाश्चुरीकरण कंज्यूमर्स को वायरस से बचाएगा
इलिनोइस यूनिवर्सिटी के पशुचिकित्सक और इन्फ्लूएंजा रिसर्चर जिम लोव ने कहा कि दूषित दूध सिरप जैसा और गाढ़ा दिखता है. उन्होंने बोला अगय यह प्रोडक्ट लोगों तक पहुंच भी गया हो, तो भी पाश्चुरीकरण कंज्यूमर्स को वायरस से बचाएगा.
पाश्चराइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें नुकसानदायक बैक्टीरिया को मारने के लिए दूध को एक निश्चित अवधि के लिए एक विशिष्ट तापमान पर गर्म किया जाता है.
प्रवासी पक्षियों से आया गायों में वायरस
कुछ किसानों ने अपनी प्रॉपर्टी पर मृत जंगली पक्षियों को भी देखा है, जिससे पता चलता है कि वायरस प्रवासी पक्षियों से आया है. अब तक इस वायरस से बहुत कम गायों की मृत्यु हुई है, लेकिन संक्रमण के कारण दूध उत्पादन में 40% तक गिरावट आई है
जनता के लिए कोई खतरा नहीं
टेक्सास डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (TDA) का बोलना है कि वह वायरस के फैलने की मॉनिटरिंग कर रहा है. वहीं कमिश्नर सिड मिलर ने बोला कि जनता के लिए कोई खतरा नहीं है और दूध की सप्लाई में कोई कमी नहीं होगी.
क्या है बर्ड फ्लू वायरस?
इसे एवियन इनफ्लुएंजा वायरस भी कहते हैं. बर्ड फ्लू के सबसे कॉमन वायरस का नाम H5N1 है. यह एक घातक वायरस है जो चिड़ियों के साथ आदमी और दूसरे जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है. डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक, H5N1 को 1997 में खोजा गया था. इस वायरस से संक्रमित होने पर 60% मामलों में मृत्यु हो जाती है.
बर्ड फ्लू को लेकर हुआ था एक्सपेरिमेंट
15 वर्ष पहले एक लैब एक्सपेरिमेंट में पता चला था कि मवेशियों को भी बर्ड फ्लू का वायरस प्रभावित कर सकता है. 1997 और 2005 के आउटब्रेक के बाद यह स्टडी की गई थी.
- 1997 में एशिया में H5N1 आउटब्रेक आया था, जिसमें वाइल्ड बर्ड, पोल्ट्री और यहां कि इंसानों में भी ये संक्रमण हुआ था.
- 2005 के प्रकोप में सूअर संक्रमित हो गए थे, लेकिन यह साफ नहीं था कि गाय जैसे जानवर भी इससे संक्रमित हो सकते हैं.