रूस-यूक्रेन संघर्ष पर कही ये बात…
जयशंकर ने कहा, ‘‘हम अभी भी चीन के साथ वार्ता कर रहे हैं. मैं अपने समकक्ष से बात करता हूं. हम समय-समय पर मिलते रहते हैं. हमारे सेना कमांडर एक-दूसरे से वार्ता करते हैं. लेकिन हमारी स्थिति एकदम साफ हैं कि हमारे बीच एक समझौता था. वहां असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) है. हमारी उस रेखा पर सेना न लाने की परंपरा है. हम दोनों के सेना ठिकाने कुछ दूरी पर स्थित हैं, जो हमारी पारंपरिक तैनाती की स्थान है. और हम वह सामान्य स्थिति चाहते हैं.’’ उन्होंने बोला कि सीमा पर सेना की तैनाती के मुद्दे में सामान्य स्थिति चीन के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने का आधार बनेगी. उन्होंने बोला कि चीन के मुद्दे में, संबंध कई कारणों से कठिन रहे हैं, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि दोनों पक्षों के बीच सीमा टकराव है.
चीन ने की सीमा पर हिंसा
जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन कई सालों तक सीमा टकराव के बावजूद, हमने वास्तव में जरूरी संबंध बनाये क्योंकि हम इस बात पर सहमत हुए कि जब हम सीमा टकराव पर वार्ता करेंगे, तो हम दोनों इस बात पर सहमत होंगे कि हम बड़ी संख्या में सैनिकों की सीमा पर तैनाती नहीं करेंगे. और हमारे सामने कभी भी ऐसी स्थिति नहीं होगी जहां अत्याचार और रक्तपात हो.’’ उन्होंने बोला कि यह सहमति बननी 1980 के दशक के अंत में प्रारम्भ हुई और कई समझौतों में परिलक्षित हुई. उन्होंने कहा, ‘‘अब दुर्भाग्यवश, 2020 में सीमा समझौते तोड़े गए थे, जिसके कारण अभी भी हमारे लिए साफ नहीं हैं. वास्तव में सीमा पर अत्याचार और रक्तपात हुआ.’’ जून, 2020 में गलवान घाटी में हुई खतरनाक झड़प के बाद हिंदुस्तान और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गये थे.
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर कही ये बात
जयशंकर ने बोला कि रूस-यूक्रेन संघर्ष में हिंदुस्तान की स्थिति यही रही है कि युद्ध के मैदान में निवारण नहीं खोजा जा सकता है और हिंदुस्तान इस संघर्ष को खत्म करने का रास्ता तलाशना चाहता है. रूस-यूक्रेन संघर्ष पर हिंदुस्तान की स्थिति को लेकर पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, जयशंकर ने बोला कि ‘‘संघर्ष का कोई विजेता नहीं होता’’. उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रारम्भ से ही यह रुख अपनाया था कि आपको युद्ध के मैदान में इस संघर्ष का निवारण नहीं मिलेगा. जयशंकर ने दक्षिणी इजराइल में फलस्तीनी आतंकी समूह द्वारा हमले का जिक्र करते हुए बोला कि सात अक्टूबर को जो हुआ वह आतंकवाद था.
सात अक्टूबर, 2023 को गाजा पट्टी से हमास के आतंकियों ने जमीन, समुद्री और हवाई मार्गों से इजराइल पर धावा किया, जिसमें कम से कम 1,200 इजराइली नागरिक मारे गए और 230 अन्य को बंधक बना लिया गया. इस हमले के बाद इजराइल ने गाजा पट्टी पर जवाबी कार्रवाई की.