नैनीताल के प्रसिद्ध सेंट जोसेफ कॉलेज के छात्रों ने बनाए टेलीस्कोप और रॉकेट
देश की शिक्षा प्रबंध में पिछले कुछ वर्षों में काफी परिवर्तन आया है। इंटरनेट और अन्य तकनीकों के माध्यम से आज शिक्षा का स्तर भी बड़ चुका है। राष्ट्र के कई विद्यालयों में बच्चों को भिन्न भिन्न कोर्स के माध्यम से कई तरह की जानकारियां दी जा रहीं हैं। ऐसा ही एक विद्यालय उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित है। नैनीताल के प्रतिष्ठित सेंट जोसेफ कॉलेज में बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ ब्रह्मांड की जानकारी भी दी जा रही है। बच्चे ब्रह्मांड से जुड़े रहस्यों से लेकर पूरे विश्व की स्पेस एजेंसी के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। इसके साथ ही बच्चों को मॉडल के रूप में कई तरह के टेलीस्कोप और रॉकेट बनाना भी सिखाया जा रहा है। इसके लिए विद्यालय में एक खास तरह की कक्षा चलाई जा रही है, जिसे एस्ट्रो पाठशाला का नाम दिया गया है।
सेंट जोसेफ कॉलेज के प्रिंसिपल ब्रदर हेक्टर पिंटो ने मीडिया से खास वार्ता में बोला कि दो वर्ष पहले एस्ट्रोवर्स कम्पनी के योगदान से एस्ट्रो पाठशाला को उनके विद्यालय में बच्चों के लिए वैकल्पिक विषय के तौर पर संचालित किया जा रहा था, लेकिन अब इसे जरूरी तौर पर संचालित किया जा रहा है। इस पाठशाला में बच्चे लाइफ स्किल, सॉफ्ट स्किल के साथ ही रोबोटिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एस्ट्रोनॉमी के साथ ही कई तरह की प्रैक्टिकल स्किल्स सीखते हैं। उन्होंने बोला कि नयी शिक्षा पद्धति के अनुसार बच्चों की स्किल को बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है।
नई शिक्षा प्रणाली में प्रैक्टिकल एजुकेशन पर जोर
एस्ट्रो पाठशाला के शिक्षक शुभम ने कहा कि एस्ट्रो पाठशाला एक माध्यम है, जहां पर बच्चे अंतरिक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। एस्ट्रो पाठशाला में बच्चे रॉकेट और टेलीस्कोप बनाना सीख रहे हैं, साथ ही ग्रहों के बारे में बारीकी से जान रहे हैं। शुभम बताते हैं कि एस्ट्रो पाठशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति सतर्क करना और अंतरिक्ष के रहस्यों से विद्यार्थियों को रूबरू करवाना है। नयी शिक्षा प्रणाली के अनुसार प्रैक्टिकल एजुकेशन पर अधिक बल दिया गया है। प्रैक्टिकल एजुकेशन विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास में काफी सहायक है।